जानिए कब है करवा चौथ, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और व्रत कथा

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हिन्दू धर्म में करवा चौथा का विशेष महत्व होता है| करवा चौथ के लिए सभी सुहागिन महिलाए पहले से ही तैयारियां करने लगती हैं| इस दिन सभी सुहागिन औरतें पूरे दिन भूखी-प्यासी रहकर अपनी पति की लम्बी उम्र और उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए व्रत करती है| इस बार यह करवा चौथा का त्योहार 17 अक्टूबर के दिन पड़ रहा है। यह व्रत निर्जला रखा जाता है| इसके बाद शाम के समय शुभ मुहूर्त में पूजा करते हुए  चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। आप भी जानिए करवा चौथ की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा के बारे में|

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ऐसे हुई व्रत की शुरुआत 

माना जाता है कि, करवाचौथ की परंपरा देवताओं के समय से चली आ रही है। वही, पौराणिक कथाओं के मुताबिक, एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरू हो गया और उस युद्ध में देवताओं की हार होने लगी। भयभीत देवता ब्रह्मदेव के पास गए और उनसे रक्षा की प्रार्थना की। ब्रह्मदेव ने कहा कि, इस संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को अपने-अपने पतियों के लिए व्रत रखना चाहिए और सच्चे दिल से उनकी विजय की कामना करनी चाहिए।

ब्रह्मदेव ने यह वचन दिया कि ऐसा करने पर इस युद्ध में देवताओं की जीत निश्चित हो जायेगी। ब्रह्मदेव के इस सुझाव को सभी ने स्वीकार किया। ब्रह्मदेव के कहनें के मुताबिक, कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन सभी देवताओं की पत्नियों ने व्रत रखा और अपने पतियों की विजय के लिए प्रार्थना की। उनकी यह प्रार्थना स्वीकार हुई और युद्ध में देवताओं की जीत हुई। इस खुशखबरी को सुन कर सभी देव पत्नियों ने अपना व्रत खोला और खाना खाया। उस समय आकाश में चांद भी निकल आया था। माना जाता है, कि इसी दिन से करवाचौथ के व्रत के परंपरा शुरू हो गई|

करवा चौथ व्रत का महत्व 

 इस व्रत में भगवान शिव शंकर, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देवता की पूजा  पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है। वहीं इस दिन पूजा करने वाली सभी सुहागिन स्त्रियों को  पूजा के समय कथा सुनना बेहद जरूरी होता  है। ऐसी मान्यता है कि, करवाचौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता है, उनके घर में सुख, शान्ति,समृद्धि आती है और सन्तान सुख मिलता है। महाभारत में भी करवाचौथ के महात्म्य के बारे में बताया गया है |”

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करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त  

करवा चौथ की तिथि: 17 अक्‍टूबर 2019

चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 17 अक्‍टूबर 2019 (गुरुवार) को सुबह 06 बजकर 48 मिनट से

चतुर्थी तिथि समाप्त:  18 अक्‍टूबर 2019 को सुबह 07 बजकर 29 मिनट तक

करवा चौथ व्रत का समय: 17 अक्‍टूबर 2019 को सुबह 06 बजकर 27 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक

कुल अवधि: 13 घंटे 50 मिनट

पूजा का शुभ मुहूर्त: 17 अक्‍टूबर 2019 की शाम 05 बजकर 46 मिनट से शाम 07 बजकर 02 मिनट तक. 

कुल अवधि: 1 घंटे 16 मिनट

करवा चौथ की पूजा विधि?

1.इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्‍नान करना चाहिए

2.इसके बाद इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए व्रत का संकल्‍प लें- ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये’

 3.सूर्योदय से पहले सरगी खाने का विधान है, इसके बाद फिर पूरे दिन निर्जला व्रत किया जाता है

4.इस दिन दीवार पर गेरू से फलक बना लें, और भीगे हुए चावलों को पीसकर घोल बनाकर फलक पर करवा का चित्र बनाया जाता है| वहीं कुछ लोग बाजार से रेडीमेड फोटो भी खरीद लाते है|  

 5. आठ पूरियों की अठावरी बनाई जाती है  मीठे में हल्‍वा, खीर जैसे पकवान बनाने का विधान होता है|

 6.पीली मिट्टी और गोबर की मदद से माता पार्वती की प्रतिमा बनाकर इसे लकड़ी के आसान पर बिठाकर मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी और बिछुआ चढ़ाया जाता है|

7.जल से भर हुआ लोट अपने पास जरुरु रख लें| 

8.बहुत लोगों के यहाँ करवें के अंदर पकवान डालने का भी विधान होता है|  

9.इस दिन गौरी-गणेश और चित्रित करवा की पूजा की जाती हैं| 

10.फिर पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का उच्‍चारण करें- ”ऊॅ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥”

 11.इस दिन चंद्रमा के निकलने के बाद छलनी की ओट से पति को देखकर चन्द्रमा को अर्घ्‍ दिया जाता है| 

 12.चंद्रमा को अर्घ्‍य देते समय पति की लंबी उम्र और जिंदगी भर आपका साथ बना रहे इसकी कामना की जाती है|

13.इसके बाद पति को प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लिया जाता और उनके हाथ से जल पीकर व्रत खोला जाता है|   

करवा चौथ की कथा 

पौराणिक मान्‍यताओं के मुताबिक, एक राजा के सात लड़के और एक लड़की थी| सेठानी समेत उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था| रात्रि को साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा| इस पर बहन ने जवाब दिया- “भाई! अभी चांद नहीं निकला है, उसके निकलने पर अर्घ्‍य देकर भोजन करूंगी |” बहन की बात सुनकर भाइयों ने क्या काम किया कि नगर से बाहर जा कर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए उन्‍होंने बहन से कहा- “बहन! चांद निकल आया है| अर्घ्‍य देकर भोजन कर लो|” 

यह सुनकर उसने अपने भाभियों से कहा, “आओ तुम भी चन्द्रमा को अर्घ्‍य दे लो.” परन्तु वे इस कांड को जानती थीं, उन्होंने कहा- “बाई जी! अभी चांद नहीं निकला है, तेरे भाई तेरे से धोखा करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखा रहे हैं |” भाभियों की बात सुनकर भी उसने कुछ ध्यान न दिया और भाइयों द्वारा दिखाए गए प्रकाश को ही अर्घ्‍य देकर भोजन कर लिया | इस प्रकार व्रत भंग करने से गणेश जी उस पर अप्रस्सन हो गए| इसके बाद उसका पति सख्त बीमार हो गया और जो कुछ घर में था उसकी बीमारी में लग गया|

जब उसे अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसने पश्चाताप किया गणेश जी से प्रार्थना करते हुए विधि विधान से पुनः चतुर्थी का व्रत करना आरम्भ कर दिया श्रध्दानुसार, सबका आदर करते हुए सबसे आशीर्वाद ग्रहण करने में ही मन को लगा दिया| इस प्रकार उसकी श्रद्धा भक्ति सहित कर्म को देखकर भगवान गणेश उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवन दान दे कर उसे आरोग्य करने के पश्चात धन-संपत्ति से युक्त कर दिया| इस प्रकार जो कोई छल-कपट को त्याग कर श्रद्धा-भक्ति से चतुर्थी का व्रत करेंगे उन्‍हें सभी प्रकार का सुख प्राप्त होगा|

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