द्रौपदी के पिता का नाम द्रुपद था, पिता का नाम द्रुपद होने के कारण इनका नाम द्रौपदी रख दिया गया था| द्रौपदी बहुत ही योग्यवान, शिक्षित और तेजस्विनी थी | द्रौपदी 5 कन्याओं में से एक है, जिन्हें चिर कुमारी के नाम से भी जाना जाता है, इसके अतिरक्त उन्हें कृष्णा, महाभारती और यज्ञसेनी के नाम से भी पुकारा जाता है |
द्रौपदी का विवाह पांच पांडवों से हुआ था, उसी समय से उन्हें पंचाली के नाम से भी जाना जाता हैं | द्रौपदी के 5 पति होनें का क्या रहस्य है, आइये जानते हैं, कि द्रौपदी के 5 पति होने के क्या कारण थे –
वैसे तो द्रौपदी ने केवल अर्जुन के गले में ही वरमाला डाला था, क्योंकि अर्जुन ने ही मछली की आँख में तीर मारकर सही निशाना लगाया था, जिसके कारण द्रौपदी ने अर्जुन के गले में वरमाला डाला था |
इसके बाद जब अर्जुन और उसके चारों भाई द्रौपदी को अपनी माँ कुंती के पास ले गये तो कुटियाँ में प्रवेश करने से पहले ही अर्जुन ने द्वार से ही कहा माते! आज हम लोग आपके लिए अलग तरह की भिक्षा लेकर आयें हैं, तभी कुंती ने अन्दर से बिना देखे हुए कहा कि, सब लोग आपस में मिल बाँट कर ले लो, तभी द्रौपदी ने माँ का सम्मान करते हुए पाँचों को अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया |
द्रौपदी के 5 पति इस कारण से थे, क्योंकि द्रौपदी को पिछले जन्म में भगवान शिव ने द्रौपदी के वरदान के मुताबिक ही 5 पति प्राप्त होने का वरदान दिया था| द्रौपदी अपने पिछले जन्म मेंऋषि इन्द्र्सेना की पत्नी थी, उनके पति संत मौद्गल्य का देहांत जल्दी हो गया था|
पति की अकस्मात् मृत्यु से वह काफी परेशान होकर भगवान शिव की तपस्या करने लगी, तभी उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव उसके सामने प्रकट हुए उसकी इच्छा के बारें में पूछा शिव को सामने देख द्रौपदी ने घबराहट में भगवान शिव से एक बार के बदले एक ही वर 5 बार मांग लिया और शिव जी ने उन्हें यह वरदान दे दिया था |
द्रौपदी के पांच बार ऐसा वर मांगने से उन्हें उस जन्म में तो नहीं, परन्तु अगले जन्म के लिए पांच पति का वरदान प्राप्त हुआ था, इसीलिए जब इन्द्र्सेना द्रौपदी बनकर धरा पर जन्मी तो उन्हें एक नहीं बल्कि पांच पतियों का साथ मिला| वह भारत की पहली पत्नी थी, जिनके पांच पति हुए |