भारत में सभी राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव से कुछ समय पहले एक घोषणा पत्र जारी किया जाता है, जिसमे वह इस बात का जिक्र करते है, कि यदि वह चुनाव जीत जाते है, तो वह वर्तमान व्यवस्था में क्या परिवर्तन करेंगे, उसके विषय में घोषणा पत्र में उल्लेख करते है, चुनावी घोषणा पत्र के द्वारा ही राजनीतिक दलों की विचार धारा का पता चलता है | इसमें प्रायः जीवन के सभी क्षेत्रों को शामिल किया जाता है, जिससे समाज के प्रत्येक वर्ग को लाभ मिल सके है |
क्या है चुनावी घोषणा पत्र
चुनावी घोषणा पत्र राजनीतिक दलों का एक मुख्य दस्तावेज होता है, जिसमें वह चुनाव जीत जाने के बाद भविष्य में करने वाले कार्यों के विषय में बताते है, जिससे जनता उन्हें वोट कर सके | घोषणा पत्र के द्वारा पार्टी सार्वजनिक रूप से अपने सिद्धान्तों एवं इरादों (नीति एवं नीयत) को प्रकट करती है |
चुनावी घोषणा पत्र से लाभ
1.चुनावी घोषणा पत्र से जनता पार्टी के विजन को समझ जाती है और उसी के अनुरूप वह मतदान का निर्णय लेती है, प्रत्येक पार्टी अपना- अपना घोषणा पत्र जारी करती है, जिससे जनता का ध्यान आकर्षित किया जा सके |
2.जनता प्रत्येक पार्टी के घोषणा पत्र को देखती है, जिस पार्टी का विजन व कार्य सही होता है, मतदाता उसी पार्टी को मतदान करते है |
3.चुनावी घोषणा पत्र के द्वारा राजनीतिक दल पर, जनता कार्य करने का दबाव बनाती है | इससे लोकतान्त्रिक व्यवस्था को मजबूती मिलती है |
चुनावी घोषणा पत्र से हानि
अधिकतर राजनीतिक दलों द्वारा जनता को लुभाने के लिए अपना घोषणा पत्र तैयार करती है और चुनाव में जीत मिलने के बाद राजनीतिक दल कुछ कार्य तो करते है और कुछ कार्य नहीं करते है, जिससे जनता को हताशा मिलती है |
राजनीतिक दल घोषणा पत्र के द्वारा जाति व समुदाय को लुभाने की कोशिश करते है, जिससे जाति प्रथा को और मजबूती मिलती है, जिससे आपस में ही एक समुदाय दूसरे समुदाय का विरोध करने लगता है | इससे तनाव का माहौल बन जाता है, जो कि लोकतंत्र के लिए सही नहीं है |
चुनावी घोषणा पत्र का दुरुप्रयोग
अधिकतर राजनीतिक दल घोषणा पत्र का दुरुप्रयोग कर करते है, वह अपने घोषणा पत्र में जो कहते है, वह असल में करते नहीं है, जिसके लिए जल्द ही कोई क़ानून बनाने की आवश्यकता है | जिससे कोई दल चुनावी घोषणा पत्र में उन्हीं बातों को लिखे जिसे वह पूरा करने में समर्थ हो | अभी तक जनता को चुनावी घोषणा पत्र के द्वारा केवल गुमराह करने के लिए ही प्रयोग किया जा रहा है |
क्या घोषणा पत्र रद्दी कागज का टुकड़ा बन जाता है ?
बहुमत मिलने के बाद सरकार बन जाती है लेकिन इस समय घोषणा पत्र के मुख्य मुद्दों पर ही काम किया जाता है, धीमे- धीमे समय बीतने पर सरकार इस घोषणा पत्र के अनुरूप कार्य नहीं करती है, जिससे जनाक्रोश बढ़ जाता है उस समय यह घोषणा पत्र केवल एक रद्दी कागज का टुकड़ा ही बन कर रह जाता है, इसे ही वायदाखिलाफी कहते है | राजनीतिक दलों द्वारा कहा जाता है, कि अभी तो एक ही साल हुआ है या अभी तो दो ही साल हुआ है, इस प्रकार से पांच साल बीत जाते है और कोई भी राजनीतिक दल अपने चुनावी घोषणा पत्र को पूरा नहीं कर पाता है |