उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षक के 69 हजार पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया चल रही है, इस भर्ती प्रक्रिया में कट ऑफ के लिए हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है, 30 जनवरी 2019 को राज्य सरकार की ओर से लगातार तीन घंटे तक बहस की गई, हाईकोर्ट ने इसकी संशोधित उत्तर कुंजी और परिणाम पर रोक से सम्बंधित अपने आदेश को 31 जनवरी 2019 तक के लिए बढ़ा दिया है |
हाईकोर्ट इस भर्ती प्रक्रिया को जल्द ही पूरी करने के पक्ष में है, इसके लिए प्रतिदिन सुनवाई चलेगी | यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल सदस्यीय पीठ ने मोहम्मद रिजवान तथा अन्य याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पारित किया है |
30 जनवरी 2019 को कोर्ट में क्या हुआ ?
30 जनवरी 2019 को सुबह दस बजकर 15 मिनट पर कोर्ट की कार्यवाही शुरू की गयी | राज्य सरकार की तरफ वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत चंद्रा ने सरकार का पक्ष रखा, लगातार तीन घंटे इस पर बहस जारी रही प्रशांत चंद्रा जी ने सरकार के अर्हता अंक तय करने के निर्णय का बचाव किया उनका कहना था कि राइट टू एजुकेशन में राइट टू क्वालिटी एजुकेशन सम्मिलित है, यदि अहर्ता अंक कम किया जाता है, तो शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी, जो कि किसी देश या प्रदेश के लिए अत्यंत हानिकारक है, उत्तर प्रदेश सरकार चाहती है, राज्य में योग्य शिक्षकों का चयन हो |
सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व में राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किये गए शिक्षा मित्र का चयन शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए ही निरस्त कर दिया था | अधिवक्ता ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने शिक्षा मित्र को दो बार वरीयता देने का निर्णय दिया था इसका यह अर्थ नहीं है, कि गुणवत्ता में कमी करके मेरिट कम कर दी जाये |
राज्य सरकार की ओर अधिवक्ता ने बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों के शामिल होने की बात रखी है, जिस कारण अहर्ता अंक 60 प्रतिशत और 65 प्रतिशत निर्धारित किया गया है | अभी तक हुई सुनवाई में राज्य सरकार ने अपना पक्ष बहुत ही मजबूती के साथ रखा है |
हाईकोर्ट भी शिक्षा की गुणवत्ता में किसी भी प्रकार की कमी करने के पक्ष में नहीं है, परन्तु कोर्ट अभी तक किसी भी निर्णय पर नहीं पहुँच सकी है, कोर्ट ने 30 जनवरी 2019 को अगली सुनवाई 31 जनवरी 2019 को निर्धारित की है |
आज इस सुनवाही को 3 बजे का समय दिया गया है | सुनवाही शुरू होते ही इससे सम्बंधित हम इसकी अपडेट देते रहेंगे |