वो वैज्ञानिक जिसने भारत को बना दिया न्यूक्लियर पावर

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राजा रमन्ना ऐसे वैज्ञानिक थे जिन्होंने, भारत को न्यूक्लियर पावर बना दिया | राजा रमन्ना के अन्दर बहुत सारी खूबियाँ विदमान थी | जैसे- वे बहुत ही काबिल और होनहार वैज्ञानिक रहे | इसके अतिरिक्त वे बेहतरीन संगीतज्ञ भी थे और एक अच्छे प्रशासक के साथ-साथ अच्छे लीडर भी रहें । वो जो भी तकनीक के बारे में सोचते थे वह बहुत जल्द पूरा भी कर लेते थे |

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रमन्ना मानवता पर भी पूरा यकीन रखते थे। इसके आलावा वे संस्कृतिक साहित्य और दर्शन में भी काफी होशियार  थे। बता दें कि इतनी अधिक खूबियाँ प्राप्त करने वाले राजा रमन्ना का जन्म आज 28 जनवरी, 1925 को कर्नाटक के टुमकुर में हुआ था। यह इनका 94वें जन्म दिन है |

रमन्ना ने अपनी शुरुआती पढ़ाई मैसुरु और बेंगलुरु से की। इसके बाद उनका परिवार बेंगलुरु शिफ्ट हो गया तो उन्होंने बिशप कॉटन स्कूल में प्रवेश लिया। इसके अतिरिक्त उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई सेंट जोसफ स्कूल से की। इंटरमीडिएट पार करने के बाद उन्होंने बीएससी (ऑनर्स) करने के लिए तंबारम स्थित मद्रास क्रिस्चन कॉलेज में प्रवेश लिया। यह पदवी प्राप्त करने के बाद वे इंग्लैंड चले गए। उन्होंने किंग्स कॉलेज, लंदन में न्यूक्लियर फिजिक्स के मैदान में टाटा स्कॉलर के तौर पर डॉक्टोरल किया। फिर उन्होंने 1948 में पीएचडी की डिग्री हासिल की । 


भारत को ऐसे बनाया न्यूक्लियर पावर  

18 मई, 1974 में देशों में पहला न्यूक्लियर परीक्षण हुआ था जिसमें भारत दुनिया के छह पावरफुल देशों में शामिल हो गया। इससे पहले यूएन की सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी देश ही न्यूक्लियर पावर थे लेकिन, रमन्ना ने न्यूक्लियर परीक्षण को अंजाम देने वाली टीम का नेतृत्व किया जिसके बाद उन्होंने न्यूक्लियर हथियारों पर वैज्ञानिक रिसर्च करके रमन्ना को 1958 में न्यूक्लियर फ्यूल साइकल विकसित करने की जिम्मेदारी सौंपी दी गई थी | रमन्ना के जान पहचान इसे विस्तार दिया था। 


भाभा की अचानक 1966 में निधन हो जाने के बाद वह न्यूक्लियर बम प्रोग्राम के प्रमुख बने | इसके बाद 1967 में भारत में जब इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री की पदवी हासिल की तो न्यूक्लियर पावर पर काम और भी तेजी के साथ प्रारम्भ हो गया । इस प्रोग्राम पर रमन्ना के अतिरिक्त 75 और वैज्ञानिक काम कर रहे थे और जब यह परियोजना पूरी हो गई तब रमन्ना ने इंदिरा गांधी को सूचित किया था कि भारत लघु परमाणु बम बनाने और उसका परीक्षण करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। जिसपर इंदिरा गांधी ने सितंबर 1972 में हरी झंडी दिखा दी।  इस तैयारी के बारे में गिने-चुने ही लोगों को खबर थी |

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