क्या होता है बजट से जुड़े इन शंब्दावालियों का मतलब – जरा आप भी पढ़ के जान ले

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मोदी सरकार जल्दी ही अपने कार्यकाल का अंतिम बजट प्रस्तुत करने वाली है|  यह मोदी सरकार के कार्यकाल का अंतिम वर्ष है,  इसलिए इस वर्ष अंतरिम बजट पेश किया जायेगा|

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वित्त मंत्रालय द्वारा अंतरिम बजट 2019 की तैयारियां जारी हैं, वहीं दूसरी तरफ बजट भाषण के दौरान प्रयोग होने वाले अनेक शब्दों पर चर्चाएं जारी हैं| वोट ऑन अकाउंट, कॉरपोरेट टैक्स और राजकोषीय घाटा आदि शब्द प्रमुख है,इसके साथ-साथ बजट से पहले पेश होने वाले आर्थिक सर्वेक्षण पर भी चर्चा हो रही हैं। आईये जानते है, इन शब्दों के अर्थ से सम्बंधित जानकारी ?

आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey)

यह वित्त मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली आधिकारिक आर्थिक रिपोर्ट होती है, आर्थिक सर्वेक्षण में बताया जाता है कि वर्ष के दौरान विकास की प्रवृत्ति क्या रही? किन-किन योजनाओं को अमल में लाया और इनके क्या-क्या संभावित परिणाम सामने आने वाले हैं?

इस तरह के सभी पहलुओं पर सूचना दिए जाने के साथ अर्थव्यवस्था, पूर्वानुमान और नीतिगत स्तर पर चुनौतियों संबंधी विस्तृत सूचनाओं को भी इसमें स्थान दिया जाता है। देश का पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में प्रस्तुत किया गया था। इस बार मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रहमण्यम ने आर्थिक सर्वे वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपा है|

वोट ऑन अकाउंट या अंतरिम बजट (Vote on account/Interim Budget/)

अंतरिम बजट को वोट ऑन अकाउंट कहा जाता है|  इसे लेखानुदान मांग और मिनी बजट भी कहा जाता है| वोट ऑन अकाउंट के माध्यम से सीमित अवधि के लिए सरकार के जरूरी खर्च को स्वीकृति प्राप्त होती है| । इस बजट में ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया जाता है, जिसे पूरा करने के लिए संसद की स्वीकृति या फिर कानून में संशोधन की आवश्यकता पड़े।

कॉरपोरेट टैक्स (Corporate Tax)

कॉरपोरेट टैक्स कंपनियों पर लगाया जाता है। यह किसी प्राइवेट, लिमिटेड, लिस्टेड व अनलिस्टिेड सभी तरह की कंपनियों पर लगाया जाता है। कंपनियों से प्राप्त होनें वाली आय पर कॉरपोरेट टैक्स लगाया जाता है। कॉरपोरेट टैक्स सरकार के हर साल के रेवेन्यू का एक अहम माध्यम है।

राजकोषीय घाटा (Fiscal Defecit) सरकार की कुल राजस्व आय और खर्च के मध्य के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है।  इससे यह जानकारी प्राप्त होती है,  कि यदि सरकार अपनी योजनाओं को लागू करती है, तो उसे पूरा करने के लिए कितने अतिरिक्त धन की आवश्यकता होगी, जिसे उधार लिया जाना है।

चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार कुल जीडीपी के मुकाबले 3.3 फीसद राजकोषीय घाटे (6.24 लाख करोड़ रुपये) का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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