फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में बरकरार रखा, क्या होती है FATF की ग्रे लिस्ट ?

पुलवामा आतंकी हमले में घिरे पाकिस्तान को एक और झटका लगा है, पेरिस में हुई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक में पाकिस्तान अभी ग्रे लिस्ट में ही बरकरार रखनें का निर्णय लिया गया है, जबकि पाकिस्तान द्वारा हाफिज सईद के जमात-उद-दावा पर बैन लगाकर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर आने की कोशिश कर रहा था, परन्तु वह इसमें असफल रहा|

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दुनिया भर में आतंकी फाइनैंसिंग को रोकने के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने कहा, कि पाकिस्तान जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा जैसे आतंकी संगठनों की फंडिंग रोकने में नाकाम रहा है। एफएटीएफ ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि  अक्तूबर, 2019 तक पाकिस्तान उसकी 27 मांगों पर काम नहीं करता है, तो उसे ‘ग्रे’ से ‘ब्लैक’ लिस्ट में कर दिया जाएगा।

इस दौरान पाकिस्तानी अधिकारियों ने अपनें देश को ग्रे लिस्ट से बाहर करनें पर विशेष बल दिया, पर वह सफल नही हुए, जबकि  कि फ्रांस ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था, कि वह मीटिंग के दौरान पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही बनाए रखने की बात कहेगा।

एफएटीएफ (FATF) ग्रे लिस्ट

एफएटीएफ (Financial Action Task Force) पैरिस स्थित अंतर-सरकारी संस्था है। इसका गठन 1989 में किया गया था। इसका कार्य गैर-कानून आर्थिक सहायता को रोकने के लिए नियम बनाना है। एफएटीएफ देश को ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने पर उस देश को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं आईएमएफ (IMF), विश्व बैंक (World BAnk), एडीबी (ADB), ईयू (EU) जैसे वैश्विक संस्थाओं  से कर्ज मिलने में काफी कठिनाई आती है। आतंकवादी संगठनों को फाइनैंसिंग के तरीकों पर प्रतिबन्ध न लगनें वाले देशों को इस लिस्ट में डाला जाता है। 

ये देश ब्लैक लिस्ट में शामिल

इस समय उत्तर कोरिया और ईरान ब्लैक लिस्ट में शामिल हैं, यदि  पाकिस्तान को भी इस सूची में डाल दिया जाता है, तो इससे उस पर बड़ा असर पड़ेगा। ब्लैक लिस्ट किए जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय बैंक पाकिस्तान से बाहर जा सकते हैं, और इससे उसकी  राजस्व हानि अधिक बढ़ जाएगी ।

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