पश्चिम बंगाल का बहुचर्चित चिटफंड घोटाले का खुलासा वर्ष 2013 में हुआ था, जिसमें लगभग ढाई हजार करोड का घोटाला होने की बात मीडिया रिपोर्ट से पता चलती है । सारदा ग्रुप की चार कंपनियों नें तीन स्कीमों के माध्यम से पैसा इधर-उधर करने की बात रिपोर्ट में कही गई थी। यह स्कीम फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट और मंथली इनकम डिपॉजिट थी ।
इन स्कीम के माध्यम से जमाकर्ताओं से यह वादा किया गया था, कि बदले में जो इनसेंटिव प्राप्त होगा, वह प्रॉपर्टी या फॉरेन टूर के रूप में आपको प्राप्त होगा ऐसा बताया गया | सारदा स्कैम लगभग 2500 करोड़ रुपये का है, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई द्वारा जाँच की जा रही है | मीडिया के अनुसार दोनों ही मामलों में आरोपियों के लिंक सत्ताधारी टीएमसी से पाए गये |
पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार पर आरोप
आईपीएस राजीव कुमार 1989 बैच के अफसर है, जिन्हें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बेहद करीबी माना जाता है। राजीव कुमार को वर्ष 2013 में शारदा चिटफंड घोटाला मामले की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का अध्यक्ष बनाया गया था |
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन पर बतौर जांच अधिकारी के धांधली के आरोप लगाये गये है | चिट फंड घोटाले से सम्बंधित अहम दस्तावेज राजीव कुमार के एसआईटी प्रमुख रहने के दौरान गायब हो गए थे । इन दस्तावेजों में चिटफंड घोटाले में शामिल लोगों के नाम का विवरण होने की बात भी कही जाती है। कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने राजीव कुमार को मामले में आरोपित किया था।