‘आधार’ पर लाये गये अध्यादेश को दी गई चुनौती: अब दिल्ली हाई कोर्ट ने मांगा केंद्र से जवाब

कुछ समय पहले ही हाई कोर्ट में ‘आधार अध्यादेश’ की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका दाखिल की गई थी जिस पर शुक्रवार 12 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है। बता दें कि इस अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को निजी क्षेत्र द्वारा ‘आधार’ के उपयोग के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए चुनौती दी गई थी |

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कानून मंत्रालय को मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति ए. जे. भंभानी की पीठ ने 9 जुलाई सुनवाई की अगली तारीख दी है तभी उसने अपना रुख बताने के लिए कहा है। 5 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका कर्ताओं, दोनों वकीलों को पहले हाई कोर्ट जाने के लिए कहा था इसलिए मामले को हाई कोर्ट की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए रखा गया है |

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बता दें कि पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ ने घोषणा करते हुए कहा था कि केंद्र की महत्वाकांक्षी ‘आधार’ योजना संवैधानिक रूप से वैध है परन्तु इसे बैंक खातों, मोबाइल फोन और स्कूल में दाखिलों से जोड़े जाने समेत इसके कुछ प्रावधानों को उसने रद्द भी कर दिया था |

गौरतलब है कि पिछले महीने ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘आधार अधिनियम’ को अपनी मंजूरी प्रदान करते हुए इजाजत दी थी कि मोबाइल सिम कार्ड हासिल करने और बैंक खाते खुलवाने के लिए आईडी प्रूफ के तौर पर आधार के स्वैच्छिक इस्तेमाल किया जा सकेगा | इस मामले की ख़ास बात यह है कि इस सिलसिले में लोकसभा में पारित एक विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी नहीं प्रदान हो पाई थी जिसके कारण इस पर अध्यादेश लाने की जरूरत पड़ी |

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