भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राजनीतिक दलों को यह निर्देश देने की मांग की है, कि वह चुनाव में सिर्फ ग्रेजुएट और 75 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को ही प्रत्याशी बनाया जाए | दायर की गयी याचिका में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध दर्ज आपराधिक मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन की मांग भी की गई है।
यह अंतरिम याचिका प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की है। उन्होंने याचिका में स्पष्ट रूप से कहा है, देश के विभिन्न राज्यों में लगभग 4,122 पूर्व और वर्तमान सांसदों और विधायकों के विरुद्ध पिछले तीन दशकों से आपराधिक मामले लंबित हैं।
उन्होंने कहा, कि चुनाव में अनपढ़ प्रत्याशियों को उतारने से रोकने के लिए उचित प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, क्योंकि विधायकों और सांसदों को विशेष अधिकार प्राप्त होते है | सांसद और विधायक लोकतंत्र के लिए महत्वर्पूण जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं| जिन व्यक्तियों पर कानून बनाने और संविधान में संशोधन करने का अधिकार है, यदि उन्हें ही कानून की अच्छाइयों-बुराइयों को समझनें का ज्ञान नही है, तो देश की उन्नति किस गति से होगी ? इसका अनुमान लगाया जा सकता है |
यह आवश्यक नही है, कि कोई उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति सांसद या विधायक बनने लायक हो सकता है, परन्तु इस 21वीं सदी में किसी ऐसे व्यक्ति का सांसद या विधायक बनाना भी उचित नहीं है, जो कभी कालेज या यूनिवर्सिटी गया ही न हो |
भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दाखिल की गयी याचिका में यदि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पक्ष में निर्णय लिया जाता है, तो देश की छवि बदलनें में देर नहीं लगेगी | यह अनुमान लगाया जा सकता है, यदि देश के सभी सांसद और विधायक पढ़े-लिखे और योग्य होंगे, तो देश की जनता के हित में होनें वाले कार्यों में सांसदों और विधायको द्वारा लिए गये निर्णय बिल्कुल सटीक होंगे, और कार्यों में तनिक भी विलंभ नहीं होगा | देश के युवाओं को आगे बढ़नें के अनेको अवसर प्राप्त होंगे और देश की उन्नति बहुत ही तीव्र गति से होगी |