मंत्री की मौजूदगी में कलेक्ट्रेट में हो रही बैठक के दौरान भाजपा सांसद ने अपनी ही पार्टी के विधायक को जूते से पीटा

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उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर में जिला योजना की बैठक चल रही थी | बैठक के दैरान प्रभारी मंत्री आशुतोष टंडन भी मौजूद थे तथा साथ में वहाँ सांसद, विधायक और जिले के अधिकारी भी मौजूद थे |यहाँ इस बैठक में जिले में हो रहे विकास कार्यों पर बात की जानी थी|अब अचानक इस बैठक बात तब बिगड़ गई जब भाजपा सांसद व विधायक के बीच बहस के बाद केवल इस बात को लेकर जूतम – पैजार शुरू हो गई क्योंकि शिलापट्ट पर सांसद का नाम नहीं था। इस बैठक में जो घटना हुई इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गया और चर्चा का विषय बन गया है।

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वहां पुलिस ने भीड़ से अलग करके सांसद को डीएम के कमरे में सुरक्षा की द्रष्टि से बंद कर दिया है | मामला जब लखनऊ तक पहुंचा, तो वहां से भी लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने के निर्देश आ गए, तब कलेक्ट्रेट ऑफिस पर और भी कई थानों की फोर्स पहुंची और उसने दोनों के समर्थकों पर लाठीचार्ज कर दिया. भीड़ तितर-बितर हुई तो सांसद को डीएम के कमरे से निकालकर रवाना किया गया | पार्टी की तरफ से इस पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी गई है, बताया जा रहा है कि सांसद और विधायक के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

हालाँकि खबर लिखे जाने तक उत्तर प्रदेश के संत कबीरनगर से भारतीय जनता पार्टी के सांसद शरद त्रिपाठी ने अपनी ही पार्टी के विधायक राकेश बघेल को जूता से पीटने पर दुख जताया है. साथ ही कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उनको तलब करेंगे, तो वो अपना पक्ष रखेंगे.

शिलापट पर नहीं लिखा था सांसद का नाम

इस बैठक में समिति के सदस्य प्रस्ताव पेश कर रहे थे। ऐसा बताया जा रहा है कि एक परियोजना के शिलापट पर सांसद शरद त्रिपाठी का नाम नहीं लिखा था। यह देखते ही सांसद भड़क उठे। प्रभारी मंत्री आशुतोष टंडन ने सांसद और विधायक के बीच-बचाव कराने की कोशिश की, लेकिन तब तक सांसद ने जूता निकालकर विधायक को पीटना शुरू कर दिया था। 

घटना पर अखिलेश का तंज- जूतों का सादर आदान-प्रदान हुआ
अखिलेश यादव ने इस घटना पर ट्वीट किया- उप्र में विश्व की सबसे अनुशासित राजनीतिक पार्टी का दावा करने वाली भाजपा के सांसद और विधायक जी के मध्य जूतों का सादर आदान-प्रदान हुआ। यह आगामी चुनावों में अपनी हार से आशंकित भाजपा की हताशा है। सच तो ये है कि लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए भाजपा को प्रत्याशी ही नहीं मिल रहे हैं।

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