केंद्र सरकार जीएसटी नेटवर्क को पहले की अपेक्षा अधिक सक्रिय करनें की योजना बनायीं है| नवीनतम तकनीक की सहायता से एक ऐसा सिस्टम बनाया जा रहा है, जो निरंतर छह माह तक जीएसटी रिटर्न दाखिल न करने वाले कारोबारियों को ई-वे बिल जेनरेट नहीं करने देगा।
ऐसे में जीएसटी रिटर्न दाखिल न करना कारोबारियों को महंगा पड़ सकता है। सरकारी अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस प्रणाली को आरम्भ करनें से पूर्व इसकी अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
अधिकारियों के अनुसार, इस महत्वपूर्ण कदम से जीएसटी चोरी करनें वाले लोगो को आसानी से पहचाना जा सकेगा | पिछले वर्ष अप्रैल से दिसंबर के दौरान जीएसटी चोरी अर्थात जीएसटी नियमों के उल्लंघन के 3626 मामले संज्ञान में आए थे। जांच अधिकारियों को सूचना मिली, कि कुछ ट्रांसपोर्टर्स सिंगल ई-वे बिल जेनरेट कर कई ट्रिप लगा रहे हैं|
ऐसे में ई-वे बिल को फास्टैग से जोड़ा जाएगा, इससे वाहनों के लोकेशन की जानकारी के साथ- साथ वाहन एनएचएआई के टोल प्लाजा से कितनी बार गुजरा है, इसकी भी जानकारी प्राप्त की जा सकेगी।
टैक्स चोरी को पूर्ण रूप से रोकनें के उद्देश्य से 50 हजार रुपये से अधिक कीमत के माल की अंतरर्राज्यीय ढुलाई के लिए एक अप्रैल, 2018 को E-WAY बिल प्रणाली लागू की गई थी, वही राज्यों के अन्दर 50 हजार रुपए से अधिक कीमत के माल की ढ़ुलाई पर के लिए 15 अप्रैल, 2018 को ई-वे बिल लागू किया गया था।
पचास हजार रुपये से अधिक कीमत के माल की ढुलाई के दौरान यदि जीएसटी इंस्पेक्टर ई-बे विल की मांग करता है, तो इसे दिखाना अनिवार्य है।