25 सितंबर को है इंदिरा एकादशी, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्‍व

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Indira Ekadashi 2019: इस बार बुधवार 25 सितंबर को इंदिरा एकादशी मनाई जाएगी| यह एकादशी हर साल पितृ पक्ष में पड़ती है, इसलिए इसका महत्‍व भी बहुत अधिक होता है| इस दिन शालिग्राम की पूजा करके व्रत किया जाता है| मान्‍यता है कि, अगर सच्‍चे मन और श्रद्धा भाव से इस एकादशी का व्रत किया जाए तो पितरों को मोक्ष मिल जाता है| कहते हैं कि, अगर कोई पूर्वज जाने-अंजाने किए गए अपने किसी पाप की वजह से यमराज के पास अपने पाप का दंड भोग रहे हों तो विधि-विधान से इंदिरा एकादशी का व्रत करने उन्‍हें मुक्ति दिलाई जा सकती है|’

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इंदिरा एकादशी मनाने का दिन 

हिन्‍दू पंचांग के मुताबिक,अश्चिन मास के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है| ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक, इंदिरा एकादशी हर साल सितंबर महीने में आती है|  इस बार यह एकादशी 25 सितंबर को है|

इंदिरा एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त 

इंदिरा एकादशी की तिथि: 23 सितंबर 2019 

एकादशी तिथि आरंभ: 24 सितंबर 2019 को शाम 04 बजकर 52 मिनट से

एकादशी तिथि समाप्‍त: 25 सितंबर 2019 को दोपहर 02 बजकर 09 मिनट तक

द्वादशी को पारण का समय: 26 सितंबर 2019 को सुबह 06 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 38 मिनट तक

इंदिरा एकादशी का महत्‍व 

पौराणिक मान्‍यताओं के मुताबिक, एकादशी का व्रत करने से एक करोड़ पितरों का उद्धार होता है, और स्‍वयं के लिए स्‍वर्ग लोक का मार्ग प्रशस्‍त होता है| मान्‍यता है कि, एकादशी के दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है|’

इंदिरा एकादशी की पूजन विधि 

1.इंदिरा एकादशी के दिन सुबह ही सन्ना आदि से निवृत्त हो लें|  

2.इसके बाद व्रत का संल्‍प लेते हुए कहें, “मैं सार भोगों का त्याग कर निराहार एकादशी का व्रत करुंगा/करुंगी, हे प्रभु! मैं आपकी शरण में हूं आप मेरी रक्षा करें|”

3.फिर शालिग्राम को पंचामृत से स्‍नान कराकर वस्‍त्र पहनाना चाहिए|

4.इसेक बाद  शालिग्राम की मूर्ति के सामने विधिपूर्वक श्राद्ध करें|

 5.फिर धूप, दीप, गंध, पुष्प, नैवेद्य आदि से भगवान ऋषिकेश की पूजा  करनी चाहिए|  

 6.इसके बाद पात्र ब्राह्मण को फलाहारी भोजन कराकर  दक्षिणा देकर विदा कर दें| 

 7.इस व्रत में केवल एक ही समय भोजन किया जाता है| 

8.दोपहर के समय किसी पवित्र नदी में जाकर स्‍नान करना चाहिए|

 9.इस दिन सारी रात जागरण और बहजन किया जाता है|

 10.अगले दिन द्वादश को सुबह भगवान की पूजा करने के बाद ब्राह्मणो को दान करें|

 11.इसके बाद अपने पूरे परिवार के साथ मौन रहकर खुद भी भोजन ग्रहण कर व्रत का पारण कर दें|

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