संसार में सबसे पुरानी लिपि संस्कृत लिपि ही मानी जाती है, लेकिन ब्राह्मी लिपि एक ऐसी लिपि है, जो संस्कृत से भी प्राचीन लिपि कही जाती है | संस्कृत से पहले दुनिया छोटी-छोटी, टूटी-फूटी बोलियों में बंटी थी, जिनका कोई व्याकरण नहीं था और जिनका कोई भाषा कोष भी नहीं था। कुछ बोलियों ने संस्कृत को देखकर खुद को विकसित किया और वे भी एक भाषा बन गईं, तो आइये जानते हैं, इस ब्राह्मी लिपि के बारें में |
‘ब्राह्मी लिपि’.
भाषा को लिपियों में लिखने का प्रचलन भारत में ही शुरू हुआ था। भारत से इसे सुमेरियन, बेबीलोनीयन और यूनानी लोगों ने सीखा। प्राचीनकाल में ब्राह्मी और देवनागरी लिपि का प्रचलन था। ब्राह्मी और देवनागरी लिपियों से ही दुनियाभर की अन्य लिपियों का जन्म हुआ।
ब्राह्मी लिपि एक प्राचीन लिपि है, जिससे कई एशियाई लिपियों का विकास हुआ है। ब्राह्मी भी खरोष्ठी की तरह ही पूरे एशिया में फैली हुई थी। ऐसा कहा जाता है, कि ब्राह्मी लिपि 10,000 वर्ष पुरानी है ।
माना जाता है, कि इस लिपि से काफी एशियाई लिपियों का विकास हुआ है, जैसे – देवनागरी,दक्षिण एशियाई दक्षिण पूर्व एशियाई, तिब्बती आदि | वहीं कुछ लोगों का मानना है, कि कोरियाई लिपि का विकास भी इसी प्राचीन लिपि से हुआ था, अर्थात् कुछ लोगों का कहना हैं, कि जब से यह ब्रम्हांड है, तब से यह लिपि जीवित है |
ब्राह्मी लिपि की विशेषताएं
1.यह लिपि बाएं से दायें की ओर लिखी जाती है
2.इस लिपि में मात्रों का प्रयोग किया जाता है
3.इसमें में व्यंजनों पर मात्रा लगाकर लिखी जाती है
4.इसमें कुछ व्यंजनों पर ‘संयुक्ताक्षर’ का इस्तेमाल किया जाता है
5.इस लिपि में वर्णों का कर्म आधुनिक भारतीय लिपियों जैसा ही है, जो वैदिक शिक्षा पर आधारित है
महान सम्राट अशोक द्वारा ब्राह्मी लिपि को धम्मलिपि का नाम दिया था। ब्राह्मी लिपि को देवनागरी लिपि से भी प्राचीन माना जाता है। हड़प्पा संस्कृति के लोग सिंधु लिपि के अतिरिक्त इस लिपि का भी प्रयोग करते थे, उस समय संस्कृत भाषा को भी ब्राह्मी लिपि में लिखा जाता था।
शोधकर्ताओं के अनुसार देवनागरी, गुरुमुखी, तमिल लिपि, मलयालम लिपि, सिंहल लिपि, बांग्ला लिपि, उड़िया लिपि, गुजराती लिपि, कन्नड़ लिपि, तेलुगु लिपि, तिब्बती लिपि, रंजना, प्रचलित नेपाल, भुंजिमोल, कोरियाली, थाई, बर्मेली, लाओ, खमेर, जावानीज, खुदाबादी लिपि, यूनानी लिपि आदि सभी लिपियों की जननी ब्राह्मी लिपि है।