ब्रह्मा जी की पूजा क्यों नहीं होती क्या आप जानते हैं

0
1374

संसार में जब ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनो देवताओं का नाम लिया जाता है, तो सबसे पहले ब्रम्हा जी का नाम आता हैं, इसके बाद विष्णु भगवान और फिर शंकर जी का नाम लिया जाता है | ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचनाकार माना जाता है|  वहीं भगवान विष्णु को संसार का पालनहार माना जाता है, और भगवान शिव संसार का उध्दार करते है |

Advertisement

इन त्रिदेवों में से भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा पूरी दुनिया करती है, परन्तु ब्रह्मा जी सृष्टि के रचनाकार होते हुए भी  संसार में उनकी पूजा क्यों नहीं होती ? आईये जानते ऐसा क्यों है, और इसके पीछे क्या कारण है?

ये भी पढ़े: गणेशोत्सव / गणेशजी को तुलसी क्यों नहीं चढ़ाना चाहिए – यहाँ पढ़े इसका कारण

पहला कारण

ब्रम्हा जी पुष्कर में एक यज्ञ करना चाहते थे, लेकिन उस समय उनकी पत्नी सावित्री वहां उपस्थित नहीं हो पाई थी, शुभ मुहूर्त निकला जा रहा था, जिसके कारण ब्रम्हा जी ने एक स्थानीय ग्वाल बाला गायत्री से शादी करके यज्ञ शुरू कर दिया| ब्रम्हा जी के बगल में दूसरी स्त्री को देखकर उनकी पत्नी सावित्री ने क्रोध में आकर ब्रम्हा जी को श्राप दे दिया, कि आपनें जिस संसार की रचना की है, उसी संसार के लोग आपकी पूजा नहीं करेंगे |

सावित्री के इस भयानक रूप को देखकर सारे देवी-देवता भी भयभीत हो गये, क्रोध शांत होनें पर सावित्री से श्राप वापस लेने के लिए विनती की जिस पर सावित्री जी ने कहा, कि इस पृथ्वी पर लोगो द्वारा आपकी पूजा केवल पुष्कर में ही की जायेगी |

दूसरा कारण

ब्रम्हा जी प्रमुख देवता होने पर भी इनकी पूजा बहुत कम होती है, जिसका दूसरा प्रमुख कारण यह कि, ब्रह्मांड की थाह लेने के लिए जब भगवान शिव नें विष्णु और ब्रह्मा को भेजा, तो ब्रह्मा ने वापस लौटकर शिव से असत्य वचन कहा था।

ये भी पढ़े: ऋषि पंचमी आज, जानिए व्रत कथा, पूजन विधि और इस पर्व का महत्व

तीसरा कारण

जगत पिता ब्रह्माजी की काया मनमोहक थी, उनके मनमोहक रूप को देखकर स्वर्ग अप्सरा मोहिनी उन पर मोहित हो गई और वह समाधि में लीन ब्रह्माजी के समीप आसन लगाकर बैठ गई, जब ब्रह्माजी की तांद्रा टूटी तो उन्होंने मोहिनी से पूछा, देवी! आप स्वर्ग का त्याग कर मेरे समीप क्यों बैठी हैं? मोहिनी ने कहा, ‘हे ब्रह्मदेव! मेरा तन और मन आपके प्रति प्रेममत्त हो रहा है। कृपया आप मेरा प्रेम स्वीकार करें।’

ब्रह्मजी मोहिनी के कामभाव को दूर करने के लिए उसे नीतिपूर्ण ज्ञान देने लगे, लेकिन मोहिनी पर ब्रह्माजी द्वारा दिए गये वचनों का कोई प्रभाव नही हुआ| ब्रह्माजी उसके इस व्यहार से बचने के लिए अपने इष्ट श्रीहरि को याद करने लगे।

उसी समय सप्तऋषियों का ब्रह्मलोक में आगमन हुआ। सप्तऋषियों ने ब्रह्माजी के समीप मोहिनी को देखकर उन से पूछा, यह रूपवति अप्सरा आप के साथ क्यों बैठी है? ब्रह्मा जी बोले, ‘यह अप्सरा नृत्य करते-करते थक गई थी, विश्राम करने के लिए पुत्री भाव से मेरे समीप बैठी है।’

सप्तऋषियों ने अपने योग बल से ब्रह्माजी की मिथ्या भाषा को जान लिया और मुस्कुरा कर वहां से प्रस्थान कर गए। ब्रह्माजी के अपने प्रति ऐसे वचन सुनकर मोहिनी को बहुत गुस्सा आया। मोहिनी बोली, आपने मेरे प्रेम को ठुकराया। यदि मैं सच्चे हृदय से आपसे प्रेम करती हूं, तो इस जगत में आपको पूजा नहीं जाएगा।

ये भी पढ़े: हरतालिका तीज व्रत को लेकर अगर है आप कंफ्यूज तो पढ़े यहाँ सारी जानकारी

Advertisement