केदारनाथ के कपाट इस दिन से खुलेंगे,अगर जाएँ तो इन 7 स्थानों के दर्शन जरूर करें

0
704

गर्मियों के दिन की शुरुवात होते ही अक्सर लोग कहीं न कहीं घूमने की तैयारी बना लेते हैं | वहीं अब केदारनाथ के कपाट खुलनी की तैयरी भी बहुत जोरों से की जा रही हैं| केदारंथ मंदिर को फूलों से सजाया जा रहा है और भक्तों के लिए इस मंदिर के कपाट 10 मई को खोल दिए जाएंगे, यदि आप भी इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जाने वाले हैं, तो आप इन 7 स्थानों के दर्शन जरूर करें|

Advertisement

इसे भी पढ़े: भाग्योदय कब होगा – ऐसे जान सकते हैं आप, जानिए इस सवाल का जवाब यहाँ विस्तार से

इन 7 स्थानों के जरूर करने चाहिए दर्शन

अमृत कुंड

केदारनाथ मंदिर के पीछे स्थित इस कुंड के जल का बहुत ही अधिक महत्व रहता हैं, क्योंकि यह केदारनाथ के अभिषेक का जल रहता है। वहीं माना जाता है, कि यह जल अमृत रूपी जल  है। यहाँ जो भी भक्त आता इस अमृत रूपी जल को जरूर पीता है| इसके अलावा इस जल को पीने से हमारे शरीर में किसी प्रकार बीमारी नहीं होती हैं, और जो कुछ बहुत समस्याएं रहती हैं वो भी इस जल को पीने से खत्म हो जाती है|  

रेतस कुंड

यह कुंड केदार नाथ मंदिर से 200 किमी० की दूरी पर स्थिति हैं | इस कुंड की खासियत है कि जो भी  भक्त इस कुंड के पास ‘बेम बेम भोले’ और ॐ नम: शिवाय  बोलेगा तो उस कुंड के पानी से बुलनले उठने लगते हैं | जो भी भक्त इस कुंड के जल को पीता है उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है |

देवरिया तालाब

यह  तालाब रूद्रप्रयाग से 400 किमी दूरी और 2438 मी की ऊंचाई पर स्थिति है | यह तालाब देखने  में  बहुत ही खूबसूरत है | इस तालाब में गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ लड़ नीलकंठ की चोटियों के साथ चौखम्बा का प्रतिबिम्ब साफ नजर आता है |

इसे भी पढ़े: हनुमान चालीसा पाठ करने से होता है बल, बुद्धि, विद्या का होता है विकास

चोरबाड़ी तालाब, गांधी सरोवर

यह तालाब केदारनाथ  मंदिर के समीप ही स्थिति है | इसी तालाब में गांधी जी मृत्यु के बाद 1948 में गांधी जी की राख विसर्जन की गई थी | इसके बाद ही इसका नाम गांधी सरोवर रख दिया गया था |

  मधु गंगा वॉटर फॉल

यह मधु गंगा गांधी सरोवर से ढाई  या तीन कमी की डोरी पर स्थिति है | इसमें केदार नाथ पर्वत से मधु गंगा झरने के रूप में गिरती है और कुछ दूरी पर बहने के बाद मंदाकिनी नदी से मिल जाती है |

मंदाकिनी नदी

इस नदी सभी गंगा नदियों में सबसे  श्रेष्ठ  माना गया है | कहा जाता जो लोग इसे नदी में  स्नान कर लेते हैं उनके साए पाप इसी नदी  में धूल जाते है | इसके लावा इसमें दूध गंगा, मधु गंगा और सरस्वती नदी इसमें आकर मिल जाती है |

माणियुक्त वासुकी नाग

यह केदारनाथ मंदिर से 8 किमी दूर स्थिति है | वहीं स्कन्द पुराण में बताया गया है की श्रावण मॉस की  पूर्णिमासी को  इस ताल में माणियुक्त वासुकी नाग के दर्शन मिलते हैं |

इसे भी पढ़े: बिल्ली दे रही शुभ संकेत या अशुभ ऐसे जानें, हानि या लाभ क्या होने वाला – जानिए यहाँ

Advertisement