न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकारें शराब पर टैक्स बढ़ाने की योजना बना रही है, क्योंकि कृषि कर्जमाफी सभी राजनीतिक दलों के एजेंडे में हैं | चुनाव को मद्देनजर रखते हुए सभी राजनीतिक दलों के बीच कृषि कर्जमाफी को लेकर देश में प्रतिस्पर्धा चल रही है, जिसकी कीमत शराब कंपनियों को चुकानी पड़ सकती है । कर्जमाफी की वजह से पड़ने वाले आर्थिक बोझ को कम करने के लिए राज्य सरकारें शराब पर टैक्स बढ़ाने की फ़िराक में हैं।
रिपोर्ट में एडलविस सिक्यॉरिटीज लिमिटेड की ओर से प्राप्त जानकारी की अनुसार, कृषि कर्जमाफी के बाद वित्तीय कमी को पूरा करनें के लिए सरकारों को रेवेन्यू की आवश्यकता है, और सरकारें इसके लिए टैक्स बढ़ाने की कोशिश में हैं । टैक्स में वृद्धि होनें से शराब की मांग पर गहरा असर होगा, क्योंकि सभी कंपनियां ग्राहकों से अतिरिक्त लेवी वसूलेंगी।
एडलविस सिक्यॉरिटीज के विश्लेषक अबनीश रॉय और आलोक शाह ने 1 जनवरी को एक इन्वेस्टर नोट में लिखा कि, शराब पर टैक्स की वृद्धि करना सबसे बेहतर विकल्प है, शराब से लगभग 25 फीसदी राजस्व प्राप्त होता है | राज्य सरकारें कर्ज लेकर अपना जीडीपी-कर्ज अनुपात नहीं बिगाड़ना चाहेंगी, उन्होंने कहा कि पहले भी ऐसा ही होता रहा है |