राष्ट्रीय पार्टियों के नाम | चुनाव चिन्ह | पार्टियां कितनी है | राष्ट्रीय पार्टी के मानक

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भारत में विविध पार्टियों वाली राजनीतिक प्रणाली है, जिसमें छोटे क्षेत्रीय दल अधिक प्रबल हैं। राष्ट्रीय पार्टियां वह पार्टियां होती हैं, जो चार या अधिक राज्यों में मान्यता प्राप्त हैं, उन्हें यह अधिकार भारत के चुनाव आयोग द्वारा दिया जाता है, जो विभिन्न राज्यों में समय समय पर चुनाव परिणामों की समीक्षा करता है।

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13 अप्रैल, 2018 तक भारत में राजनीतिक दलों को तीन समूहों अर्थात राष्ट्रीय दल ( संख्या 7), क्षेत्रीय दल (संख्या 24) और गैर मान्यता प्राप्त दलों (संख्या 2044) के रूप में बाँटा गया है| सभी राजनीतिक दल जो स्थानीय स्तर, राज्य स्तर या राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव लड़ने के इच्छुक होते हैं, उनका भारतीय निर्वाचन आयोग (EIC) में पंजीकृत होना आवश्यक है|

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प्रत्येक मान्यता प्राप्त पार्टी का अपना चुनाव चिन्ह होता है, और उसे टीवी, अखबार या किसी अन्य माध्यम से अपनी पार्टी के पक्ष में चुनाव प्रचार करने का विशेषाधिकार प्राप्त होता है।  भारत के संविधान के अनुसार भारत में संघीय व्यवस्था है, जिसमें नयी दिल्ली में केन्द्र सरकार तथा विभिन्न राज्यों व केन्द्र शासित राज्यों के लिए राज्य सरकार है, इसीलिए, भारत में राष्ट्रीय व राज्य (क्षेत्रीय), राजनीतिक दलों का वर्गीकरण उनके क्षेत्र में उनके प्रभाव के अनुसार किया जाता है।

राष्ट्रीय पार्टियों के नाम एवं चनाव चिन्ह की सूची

राष्ट्रीय दल प्रतीक राष्ट्रीय अध्यक्ष स्थापना
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस हाथ राहुल गाँधी 1885
भारतीय जनता पार्टी कमल अमित शाह 1980
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बाल और हँसिया सुवावरम सुधाकर रेड्डी 1925
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) हथौड़ा, हँसिया और सितारा सीताराम येचुरी 1964
बहुजन समाज पार्टी हाथी (असम राज्य को छोड़कर) मायावती 1984
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी घड़ी शरद पवार 1999
सर्वभारतीय तृणमूल कांग्रेस पार्टी फूल और घास ममता बनर्जी 1998

राष्ट्रीय पार्टी के मानक व फायदे

राष्ट्रीय पार्टी के लिए चार राज्यों में कम से कम छह प्रतिशत वोट या तीन चौथाई लोकसभा सीटों पर कम से कम दो प्रतिशत वोट प्राप्त करना आवश्यक है। किसी भी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर की मान्यता के लिए चार राज्यों में राज्य की पार्टी के रूप में मान्यता होनी चाहिए। सिंबल आर्डर 1968 के अंतर्गत यदि कोई दल राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा कायम नहीं रख पता है, तो उसे एक सिंबल पर पूरे देश में चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं रहता। राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त दल ही एक चिन्ह पर पूरे देश में चुनाव लड़ सकते हैं।

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