RBI Rate Cut से जानिए कौन होता है खुश और किसके खाते में आता है गम

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने गुरुवार को ब्याज दरों में कटौती की एक बड़ी घोषणा की है| आरबीआई ने रेपो दर 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत की है, जबकि रिजर्व बैंक इससे पहले कई बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की घोषणा कर चुका था। रिजर्व बैंक द्वारा लिए गये इस निर्णय से उपभोक्ताओं के साथ-साथ सरकार के लिए भी ख़ुशी की बात है, परन्तु इस निर्णय से बहुत से लोग खुश है, और बहुत लोग इससे असहमत और दुखी है |  आखिर ऐसा क्यों है? आईये जानते है, इसका क्या कारण है|

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ब्याज दरों में कटौती से इन लोगों को है खुशी

रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में की गयी कटौती की घोषणा के बाद सभी बैंकों को इसका पालन करते हुए दरों को कम करना पड़ता हैं। इससे पर्सनल लोन और होम लोन लेने वाले आम लोग और अपने व्यवसाय हेतु, फैक्ट्रियों और उद्यमों के लिए कर्ज लेने वाले व्यवसायी और उद्योगपति खुश हो जाते हैं, क्योंकि उन्हें जो कर्ज के रूप में जो धन देना पड़ता है, वह पहले की अपेक्षा काफी कम हो जाता है, जिससे आम आदमी की बचत बढ़ जाती है और व्यवसायी और उद्यमी के लाभ में वृद्धि होती है।      

 ब्याज दरों में कटौती से इन लोगों को है दुःख

रिजर्व बैंक का यह निर्णय ऐसे लोगों के लिए दुःख लेकर आता है, जो लोग बैंक में पैसे जमा रखते है, और उससे प्राप्त होनें वाले ब्याज से अपना काम चलाते है और अपनी जमा पूँजी सुरक्षित रखते है | ऐसे लोगो को अपनी जमा पूँजी पर पहले की अपेक्षा ब्याज कम मिलता है। ऐसे लोगो में अधिकांशतः रिटायर होने के बाद सिर्फ पेंशन पर जिंदगी गुजार रहे बुजुर्गों पर इसका काफी प्रभाव पड़ता है, क्योंकि उनकी पेंशन तो सीमित रहती है, परन्तु उससे मिलनें वाला ब्याज कम प्राप्त होता है |

ब्याज दरें बढ़नें पर क्या होता है?

जैसे ही ब्याज दरो में वृद्धि होती है, ऐसे लोग जिन्होनें होम लोन और वाणिज्यिक लोन लिया होता है, ऐसे ग्राहकों में निराशा छा जाती है, वह अपनी बढ़ती देनदारियों चिंतित होने लगते हैं, लेकिन पेंशन प्राप्त करनें वाले और आम जमाकर्ता काफी खुश हो जाते है, क्योंकि उन्हें अपनी जमाराशि पर पहले से अधिक ब्याज मिलनें लगता है।

ब्याज दरें बदलनें का कारण

अक्सर लोगो के मन में यह प्रश्न उठता रहता है, कि कभी ब्याज दर कम हो जाती और कभी बढ़ जाती है, आखिर इसके पीछे क्या कारण है ? ब्याज दरे घटने और बढनें के पीछे मांग और आपूर्ति की ताकतें काम करती हैं, अर्थव्यवस्था में ऋण की मांग और निवेश कम हो जानें पर उसे बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कमी की जाती है, परन्तु महंगाई की दर का भी ख्याल रखा जाता है। यदि केंद्रीय बैंक को लगता है, कि महंगाई की दर भविष्य में नियंत्रित रहेगी, तो वह ब्याज दरें घटाने का फैसला करता है, इसी प्रकार यदि लोन की मांग और निवेश अधिक होने पर महंगाई बढ़ने लगती है, तो उसे नियंत्रण में लाने के लिए ब्याज दरें बढ़ा दी जाती हैं।

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