समान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर 10 परसेंट रिजर्वेशन के खिलाफ आई एक और याचिका

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केंद्र सरकार द्वारा सामान्य वर्ग के अंतर्गत आने वाले गरीबों को शिक्षा और नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के सम्बन्ध में सरकार को एक याचिका के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। यह याचिका कारोबारी तहसीन पूनावाला द्वारा दायर की गयी है, याचिका में संविधान (103वां) संशोधन अधिनियम, 2019 को चुनौती दी गई है।

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इस प्रकरण में पहले ही एक अन्य एनजीओ की ओर से डॉक्टर कौशल कांत मिश्रा ने भी अर्जी दाखिल की हुई है। इस याचिका पर इसी सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है। याचिका में संविधान को चुनौती दी गई है। संविधान में (103वां) संशोधन अधिनियम, 2019 के माध्यम से सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण प्रदान किया गया है। इसमें अधिनियम को रद करने की मांग की गयी है|

याचिका में, इस संविधान संशोधन से आरक्षण के बारे में इंदिरा साहनी प्रकरण में उच्चतम न्यायालय के 1992 के निर्णय में प्रतिपादित मानदंड का उल्लंघन किया जा रहा है, जबकि इस निर्णय में स्पष्ट किया गया था, कि आरक्षण के लिये पिछड़ेपन को सिर्फ आर्थिक आधार पर परिभाषित नहीं किया जा सकता ।

पूनावाला ने याचिका मे कहा है, कि संविधान पीठ ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी निर्धारित की थी, और आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान इस सीमा से बाहर है । याचिका में इस नये कानून स्टे लगाने का अनुरोध किया गया है। 

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