इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वर्ष 2010 के पहले से कार्यरत अध्यापकों के लिए एक आदेश पारित किया है, इस आदेश में कहा गया है कि जूनियर, सीनियर, बेसिक स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्ति में टीईटी की अनिवार्यता लागू नहीं होती है | इसके अलावा 2010 से पहले से कार्यरत अध्यापक प्रधानाचार्य नियुक्ति मामले में 5 वर्ष का अध्यापन अनुभव रखने वाले अध्यापकों की नियुक्ति अवैध नहीं मानी जायेगी |
इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद कार्यरत अध्यापकों ने राहत की साँस ली है | अब उनके लिए टीईटी की अनिवार्यता समाप्त कर दी गयी है | अब बिना टीईटी पास किए अध्यापन अनुभव के आधार पर प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति की जा सकती है | हाल ही में चर्चा में आये बीएसए प्रतापगढ़ के नियुक्ति को वैध न मानने के आदेश को कोर्ट ने रद्द कर दिया है और सरकार को नए सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया है | ओम प्रकाश त्रिपाठी की याचिका पर यह आदेश जस्टिस इरशाद अली ने जारी किया है |
क्या था मामला ?
याचिकाकर्ता ने 2007 में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त हुआ था | उस समय अध्यापक नियुक्ति में टीईटी अनिवार्य नहीं किया गया था | वर्ष 2018 में जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाचार्य की नियुक्ति का विज्ञापन सरकार द्वारा निकाला गया | इसमें याची का चयन हो गया इसके बाद अनुमोदन के लिए बीएसए के पास भेजा गया | बीएसए प्रतापगढ़ ने यह कहते हुए नियुक्ति को अवैध कर दिया की याची टीईटी पास नहीं है |
हाई कोर्ट का आदेश
टीईटी की अनिवार्यता का कानून 2010 में लागू किया गया था, राज्य सरकार ने इसे 2012 में लागू किया था | याची का चयन पहले ही हो चुका है, इसलिए टीईटी की अनिवार्यता लागू नहीं होती है | याची प्रधानाचार्य के लिए 5 वर्ष के अनुभव रखता है इसलिए प्रधानाचार्य की नियमावली के अनुसार वह इस पद की योग्यता रखता है |