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महिलाओं को नशे की लत लगने का खतरा ज्यादा – स्टडी

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आपने अधिकतर सुना होगा कि पुरुषों की तुलना में माहिलायें नशे की आदि बहुत कम होती है | ये भी कह सकते हैं कि महिलायें उतना नशा नहीं करती है जितना कि पुरुष करते हैं | अभी तक हम, आप और अन्य लोगों की नजरों में भी पुरुष महिलाओं से अधिक नशे के आदि होते है |

बात दें कि वर्तमान समय में माहिलाये पुरुषों की तुलना में अधिक नशे की आदि होती है और वो नशे के मामले में पुरुषों को भी पीछे छोड़ चुकी हैं | बता दें कि पुरुषो से अधिक नशे की लत लगने का खतरा महिलाओं को होता है। एक स्टडी में इस बात खुलासा हुआ है कि उनके हार्मोन से जुड़ा चक्र के कारण उन्हें अधिक खतरा होता है |

अमेरिकी के वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, वर्ष 2000 से लेकर 2015 के बीच 45 से 65 वर्ष की महिलाओं में सिरोसिस से मौत के मामले में 57 फीसदी बढ़त पाई गई है, जबकि सिरोसिस से 21 फीसदी ही पुरुषों की मौत हुई है |

वहीं अब अस्पतालों में भी अधिक शराब पीने की वजह से महिलायें ज्यादा भर्ती हो रही हैं | वर्तमान समय पुरुष तो शराब पीते ही है लेकिन, अब उससे ज्यादा महिलायें शराब पीने की आदि हो गई हैं | बहुत सी महिलायें ऐसी हैं जो दिन में एक या दो बार शराब का सेवन जरुर करती हैं | बता दें कि अभी तक नशे की लत के संबंध में पुरुषों पर अधिक ध्यान दिया जाता रहा है, तभी यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर एरिन कैलीपरी ने बताया कि महिलाओं पर शराब का असर पुरुषों की तुलना में अलग तरह से होता है |

खतरा अधिक होने का कारण

शोधकर्ताओं के अनुसार, महिलाओं के शरीर से बहुत कम मात्रा में एल्कोहल डिहाइड्रोगेनेज (ADH) एंजाइम का श्राव होता है | यह लीवर से निकलकर शरीर में एल्कोहल को खराब कर देता है | जिससे महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है |

वहीं हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मनोवैज्ञानिक के प्रोफेसर और मैकलीन हॉस्पिटल, मैसाच्यूटएस में एडिक्शन साइकोलॉजिस्ट्स डान सुगरमैन ने बताया है कि जो महिलायें बहुत अधिक शराब पीती हैं उन्हें लीवर और ह्रदय सबंधी समस्याएं बहुत जल्दी उत्पन्न हो जाती है | इसलिए महिलाओं को नशे से काफी दूर रहना चाहिए |

जानकारी के लिए बता दें कि एक दशक पहले तक ऐसी कोई जानकारी नहीं थी कि महिलायें पुरुषो से अधिक नशे की आदि होती हैं क्योंकि, अभी तक तो इस मामले में केवल पुरुषों के ऊपर ध्यान दिया जाता रहा हैं | इस बात का खुलासा तब हुआ जब 1990 के बाद अमेरिका के नॅशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने अपने क्लीनिकल रिसर्च में महिलाओं को भी लाना  शुरू किया | ऐसी महिलाओं का इलाज महिलाओं समूह में होना बेहतर माना गया है |