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100 में 100 नंबर का ट्रेंड हो सकता है खतरनाक, विशेषज्ञों ने एजुकेशन और एग्जाम सिस्टम पर ऐसा क्यों कहा

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इस समय सभी बोर्डों के परीक्षा परिणाम की घोषणा की जा रही है, जिसमें की 100 अंकों में 100 अंक दिए जा रहे है| पहले यह केवल कुछ ही बोर्डों में देखा जाता था | अब सभी बोर्ड एक दूसरे से प्रतियोगिता कर रहे है, जिसमें वह अधिक से अधिक अंक देने का रिकार्ड बनाना चाहते है | इसके लिए विशेषज्ञों से राय ली गई, जिसमें उन्होंने कहा, कि यह हमारी एजुकेशन सिस्टम के लिए बहुत ही घातक है, इससे हमारे द्वारा दी गयी डिग्री की विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते है |

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नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनशनल रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग के पूर्व डायरेक्टर ने इसके लिए कहा कि “100 प्रतिशत स्कोर के ट्रेंड का एजुकेशन बोर्डों की मार्किंग में उदारता से कुछ लेना-देना नहीं है। समस्या इसमें है, कि प्रश्न कैसे सेट किए जाते हैं, और उनके लिए मॉडल आन्सर कैसे तैयार किए जाते हैं? ये मॉडल आन्सर ऐसे हैं, कि स्टूडेंट फुल मार्क पाने के लिए उन उत्तरों को पूरी तरह दोबारा लिख सकते हैं। जो स्टूडेंट थोड़े मौलिक और रचनात्मक हैं, उन्हें इस प्रक्रिया में नुकसान पहुंच रहा है। एक पुरानी कहावत भी है, यह तोता रटंतों की जीत है, इसके बाद उन्होंने कहा कि “इस समस्या का हल बेहतर प्रश्न पत्र और उनके लिए मॉडल आन्सर तैयार करना है ” |

ISSE बोर्ड में इस वर्ष देवांग अग्रवाल और विभा स्वामीनाथन को बारहवीं की परीक्षा में 400 अंकों में से 400 अंक दिए गए है और दसवीं की परीक्षा में रुपेश कजरिया और मनहर बंसल को 500 अंकों में से 498 अंक दिए गए, जोकि एग्जाम सिस्टम पर सवाल खड़े करता है |

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