Yes Bank Share: डेली डूब रहे हैं निवेशकों के करोड़ों रुपये, क्या फिर लौट पाएंगे बैंक के अच्छे दिन

यस बैंक को 2005 में लिस्टिंग किया गया था, लिस्टिंग के बाद निवेशकों ने अपना निवेश यस बैंक में किया जिससे कुछ ही महीने में इसके शेयरों में अच्छा उछाल देखा गया | पिछले कुछ महीनों से यस बैंक के शेयरों में लगातार गिरावट देखी जा रही है, इसका कारण मैनेजमेंट इश्यू, आंकड़ों पर सवाल, रेटिंग एजेंसियों के निगेटिव कमेंट है | कल गुरूवार के दिन इसके कारोबार में 12 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी | इसके शेयर 118 रुपये के भाव पर आ गए है | यह सबसे बड़ी गिरावट है, यस बैंक के शेयरों में 70 प्रतिशत की गिरावट है | इस समय यस बैंक के निवेशकों के प्रतिदिन 225 करोड़ रुपये डूब रहे है |

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बैंक का विवाद

यस बैंक में दो इंडिपेंडेंट डायरेक्टर मुकेश सभरवाल, अजय कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया | राणा कपूर बोर्ड में वापस आना चाहते है | इसके लिए इन्होंने मई में चिट्टी लिखकर बोर्ड में सीट की मांग की थी इसके साथ ही वह मुआवजा चाहते थे | बोर्ड ने इनकी मांग को अस्वीकृत कर दिया | बोर्ड ने इसका कारण भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों का बताया है |

लिस्ट होने के बाद 33 गुना रिटर्न

जुलाई 2005 में लिस्ट होने के बाद यस बैंक ने अपने शेयर का भाव 12.37 रुपये रखा गया था | यह भाव बढ़ कर 20 अगस्त 2018 को 404 रुपये हो गया था | इस दौरान निवेशकों को 33 गुना रिटर्न प्राप्त हुआ |

यस बैंक पर लगभग 1.5 साल तक रहेगा दबाव

रेटिंग एजेंसी मूडीज ने चौथी तिमाही के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा कि “बैंक का स्ट्रेस्ड एसेट उसके कुल लोन का करीब 8 फीसदी है, बैंक के अनुमान के अनुसार उसकी दबाव वाली सं​पत्ति का करीब 50 फीसदी एनपीए हो जाएगा | इसके बाद रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा कि “बैंक की बैलेंस सीट दुरुस्त होने में समय लगेगा, इसके चलते बैंक को मुनाफे में आने में एक से डेढ़ साल का समय लगेगा कॉरपोरेट लोन से रिटेल और छोटे बिजनेस लोन पर शिफ्ट होने से भी बैंक को मुनाफे में आने में दिक्कत होगी क्योंकि कॉरपोरेट लोन कमाई का प्रमुख जरिया होता है |

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