सोमवार 1 जुलाई को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह महीने के लिए बढ़ाने से संबंधित बिल पेश कर दिया है। जानकारी देते हुए बता दें, कि लोकसभा इस बिल को पहले ही पारित किया जा चुका है। इसके साथ ही अमित शाह जम्मू -कश्मीर आरक्षण (संशोधन) बिल 2019 भी उच्च सदन में पेश किया है| इस बिल को भी लोकसभा ने एक हफ़्ते पहले ही पारित कर दिया है | अब इन नई प्रणालियों से करों में और भी कई सुधार हो सकते है|
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समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव ने राज्यसभा में कहा कि, उनकी पार्टी जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के बिल का समर्थन करेगी। वहीं अभी एक हफ़्ते पहले ही शुक्रवार को लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि, दोनों ही विधेयक जनता की भलाई के लिए है।
इसी के साथ गृहमंत्री ने जम्मू कश्मीर के हालात का जिम्मेदार कांग्रेस को बताते हुए कहा कि, कांग्रेस द्वारा राज्य में बार-बार धारा-356 के दुरुपयोग के कारण ऐसी परिस्थिति बनी है। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 पर विपक्ष की आशंकाओं का जवाब देते हुए अमित शाह ने उन्हें इस अनुच्छेद को ठीक से पढ़ने की नसीहत देते हुए कहा कि, अनुच्छेद में ही साफ तौर पर लिखा गया है, कि यह अस्थायी है। हालांकि उन्होंने अनुच्छेद 370 पर सरकार की किसी कार्ययोजना के बारे में जानकारी नहीं दी थी।”
गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा है कि, विशिष्ट परिस्थिति के कारण राष्ट्रपति शासन का समय बढ़ाना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति कांग्रेस के बार-बार धारा 356 के दुरुपयोग के कारण हुई है। इसी के साथ कहा कि धारा-356 का इस्तेमाल राजनीति नहीं है। 132 बार लागू धारा 356 का 92 बार इस्तेमाल कांग्रेस राज में हुआ। नरेंद्र मोदी सरकार ने आतंक के लिए जीरो टॉलरेंस पॉलिसी को अपनाया है। जनता के सहयोग से हम इसे पाने में सफल रहेंगे।”
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