केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने की घोषणा कर दी है| माना जा रहा है, कि इसके बाद अब देश के दूसरे राज्यों के लोगों को भी यहां ज़मीन ख़रीदने के मौक़े मिलेंगे| यहाँ तक कि स्थानीय लोग भी यही समझ रहे है, कि बाहरी लोग वहां आकर जमीन खरीदने लगेंगे और बड़ी संख्या में बस जाएंगे| हालांकि, ऐसा होना आसान नहीं है| अब बाहरी लोग भी जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद सकते हैं, लेकिन जानकारी देते हुए बता दें कि देश में कई ऐसे राज्य हैं, जहां बाहरी लोग आकर राज्य की जमीन की खरीददारी नहीं कर सकते हैं |
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हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर से सटा राज्य है। बाहरी लोग यहां भी जमीन नहीं खरीद सकते हैं। यहां तक कि गैर कृषक हिमाचली भी यहां कृषि योग्य जमीन नहीं खरीद सकते हैं, भले उनके पास हिमाचल का राशन कार्ड क्यों न हो? साल 1972 के भूमि मुजारा कानून की धारा 118 प्रभाव में आई थी, जिसके तहत कोई भी गैर-कृषक अथवा बाहरी निवासी हिमाचल प्रदेश में खेती वाली जमीन नहीं खरीद सकता है।
नार्थ ईस्ट में कई ऐसे राज्य ऐसे हैं, जहां बाहरी लोग आकर जमीन की खरीददारी नहीं कर सकते हैं। अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम, मेघालय, सिक्किम और मणिपुर ऐसे राज्य हैं। जहाँ बाहरी लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं | इसके अलावा नार्थ ईस्ट के निवासी भी एक-दूसरे के राज्य में जमीन नहीं खरीद सकते हैं।
सिक्किम में भी बाहरी लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं, यहाँ पर केवल सिक्किम के ही निवासी जमीन खरीद सकते हैं| भारत के संविधान का अनुच्छेद 371एफ, जो सिक्किम को विशेष प्रावधान लागू करता है, बाहरी लोगों को शामिल भूमि या संपत्ति की बिक्री और खरीद पर प्रतिबंध लगाता है।
वहीं, नागालैंड को भी कश्मीर की तरह ही विशेष प्रावधान दिया गयाहै। इसे 1963 में राज्य बनने के साथ ही विशेष अधिकार के रूप में आर्टिकल 371 (A) का प्रावधान प्रदान कर दिया गया था। इसमें ऐसे कई मामले में जिसमे बाहर के लोग अपनी मर्जी नहीं चला सकते हैं|
ये हैं प्रवधान
1.धार्मिक और सामाजिक गतिविधियां
2.नगा संप्रदाय के कानून
3. नगा कानूनों के आधार पर नागरिक और आपराधिक मामलों में न्याय
4.जमीन का स्वामित्व और खरीद-फरोख्त
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