चुनाव आयोग ने दिया सुझाव, 48 घंटे पहले सोशल मीडिया प्रचार पर लगे बैन

चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 126 में संशोधन करके इसका दायरा सोशल माडिया, इंटरनेट, केबल चैनल्स और प्रिंट मीडिया के ऑनलाइन संस्करणों तक बढ़ाने की बात कही है। आयोग ने अपने पत्र में सेक्शन 126 में संशोधन कर पीपल्स ऐक्ट के अंतर्गत प्रिंट मीडिया, न्यूज पोर्टल और सोशल मीडिया पर भी चुनाव प्रचार के 48 घंटे पहले बैन लगना चाहिए । आचार संहिता के अंतर्गत चुनाव प्रचार मतदान से 48 घंटे पहले समाप्त हो जाता है।

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चुनाव आयोग मीडिया को परिभाषित करते हुए अनुच्छेद 126 (2) जोड़ना चाहता है, जिसके अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इंटरनेट, रेडियो, टेलीविजन, केबल चैनल, प्रिंट मीडिया के इंटरनेट या डिजिटल संस्करण आते हैं। वहीं प्रिंट मीडिया में न्यूज़ पेपर, मैगजीन और प्लेकार्ड शामिल है।

इस सम्बन्ध में सरकार को लगभग तीन सप्ताह पहले ही इस पर जल्द विचार करने का आग्रह किया था, जिससे इस वर्ष होने वाले आम चुनाव में इसे लागू किया जा सके, परन्तु अभी तक कोई खास प्रगति नहीं देखी गई है, जबकि संसद का अंतिम सत्र 13 फरवरी को समाप्त हो रहा है।

सेक्शन 126 के अंतर्गत अब तक सिर्फ जनसभा, रैली या चुनाव प्रचार पर ही प्रतिबन्ध है। इलेकट्रॉनिक मीडिया या सिनेमेटॉग्रफी के माध्यम से भी प्रचार पर पाबंदी है, जबकि आयोग ने अपने हालिया सुझाव में इसके दायरे में प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया को लाने का भी सुझाव दिया है। आयोग ने अपने सुझाव में तर्क दिया है, कि राजनीतिक पार्टियां प्रिंट में पाबंदी नहीं होने के कारण साइलेंट पीरियड और मतदान के दिन भी विज्ञापन देते हैं। बता दें, कि चुनाव प्रचार खत्म होने से मतदान के समय तक को साइलेंट पीरियड के तौर पर माना जाता है।

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