नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 संसद ने किया पास, जानिए अहम् बातें

0
462

नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizen Amendment Bill 2019) को लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी स्वीकृति मिल गई है, अब राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद अब नागरिकता संशोधन विधेयक कानून बन जाएगा। संसद नें बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी| जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। नागरिकता संशोधन बिल को गृहमंत्री अमित शाह नें विपक्षियों के विरोध के बावजूद उसे पास कराया गया।

Advertisement

ये भी पढ़े: ट्रांसजेंडर्स का भीख मांगना अपराध की श्रेणी से हुआ बाहर, ‘ट्रांसजेंडर्स पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) विधेयक’ 2019

नागरिकता संशोधन बिल क्या है

नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया गया, जिससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा। नागरिकता बिल में इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का रास्ता साफ हो जाएगा। हालाँकि देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है, और उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी संख्या में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है।

आखिर क्यों हो रहा है बिल का विरोध

नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को संसद के दोनों सदनों नें पास कर दिया है| इस बिल का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आये 6 समुदायों (हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी) के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देना है| इन 6 समुदायों में मुस्लिम समुदाय को शामिल नहीं किया गया है| इस बिल के प्रावधान के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। जिसके कारण कई राजनीतिक पार्टियाँ इसका विरोध कर रहीं हैं|

नागरिकता संशोधन विधेयक में प्रस्ताव

नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 को 19 जुलाई 2016 को लोकसभा में पेश किया गया था। 12 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय समिति को सौंप दिया गया था। समिति ने इस वर्ष जनवरी 2019 में इस पर अपनी रिपोर्ट दी । इसके बाद 9 दिसंबर 2019 को यह विधेयक दोबारा लोकसभा में पेश किया गया, जहां देर रात यह ध्वनिमत से पारित हो गया।

11 दिसंबर 2019 को यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया और वहां से भी यह बिल पारित हो गया, क्योंकि यह विधेयक संसद से पारित हो गया है, तो अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और राजपत्र में प्रकाशित होने के बाद अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के सभी गैरकानूनी प्रवासी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भारतीय नागरिकता के योग्य हो जाएंगे। इसके अलावा इन तीन देशों के सभी छह धर्मों के लोगों को भारतीय नागरिकता पाने के नियम में भी छूट दी जाएगी। ऐसे सभी प्रवासी जो 6 वर्ष से भारत में निवास कर रहे है, उन्हें यहां की नागरिकता मिल सकेगी। जबकि पहले यह समय सीमा 11 वर्ष थी।

ये भी पढ़े: राज्‍यसभा में UAPA संशोधन विधेयक हुआ पारित, अब सिर्फ शक पर आतंकी घोषित करना हुआ संभव

बिल से सम्बंधित अहम जानकारी

1.नागरिक संशोधन बिल के कानून का रूप लेने से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को CAB के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी।

2.ऐसे अवैध प्रवासियों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, वह भारतीय नागरिकता के लिए सरकार के पास आवेदन कर सकेंगे।

3.भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए देश में 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य होते हैं। इस बिल के पास होने के बाद बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर छह साल करने का प्रावधान है।

4.इस कानून के अंतर्गत सिर्फ वही लोग भारतीय नागरिकता के योग्य होंगे, जो 31 दिसंबर 2014 के पहले से भारत में रह रहे हैं। इससे घुसपैठ पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।

5.असम में यह विधेयक असम करार, 1985 और NRC के खिलाफ है, क्योंकि असम करार 1985 के मुताबिक जो भी व्यक्ति 1971 के बाद प्रदेश में रहने आए, फिर चाहे वह किसी भी धर्म के हों, उन्हें असम में नागरिकता नहीं दी जा सकती। इस कारण असम में एनआरसी (NRC) और नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति है।

ये भी पढ़े: भारत के राष्ट्रपति की योग्यता और अधिकार

Advertisement