ट्रांसजेंडर्स का भीख मांगना अब लीगल कर दिया गया है, क्योंकि ट्रांसजेंडर्स पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) विधेयक, 2019 से पहले वाले कानून के विवादित प्रावधान को हटा लिया गया है| इससे पहले ट्रांसजेंडर्स द्वारा भीख मांगना एक अपराध मन जाता था| केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को इस विधेयक को स्वीकृति दे दी है, और अब इसे संसद में पेश किया जायेगा|
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इसके साथ ही विधेयक से उस प्रावधान को भी हटा दिया गया है, जिसके अंतर्गत ट्रांसजेंडर व्यक्ति को अपने समुदाय का होने की मान्यता प्राप्त करने के लिए जिला स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष पेश होना पड़ता था। पहले विधेयक के अध्याय 8 के सेक्शन 19 में यह भी कहा गया था, कि सरकार की तय की गई सेवाओं/ नौकरियों से अलग अगर कोई ट्रांसजेंडर भीख मांगने या मंगवाने का काम करता है, या जबरन किसी को कोई काम करने के लिए मजबूर करता है, तो कम से कम छह महीने की सजा का प्रावधान किया गया था|
नए प्रावधान के अनुसार एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति को पहचान प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट को एक आवेदन करना होगा और डीएम नए विधेयक के आधार पर बनाए गए नियमों के अंतर्गत आवेदक को ट्रांसजेंडर व्यक्ति का पहचान प्रमाण पत्र जारी किया जायेगा|
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