पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी की पुण्यतिथि आज, जानिए उनके बारे में रोचक बाते

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देश के पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम का लोग आज भी याद करते है,  और हमारा देश हमेशा अब्दुल कलाम का आभार मानता रहेगा| जानकारी देते हुए बता दें, कि यह कर्मवीर योध्दा 2020 तक भारत को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने का सपना देखा था और अपने आख़िरी समय तक देश के लिए काम करने में योगदान करते रहे| आज 27 जुलाई को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी की पुण्यतिथि है, आईये जानते है उनके बारे में रोचक बाते|

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अब्दुल कलाम का आखिरी पल

चार साल पहले 27 जुलाई को  अब्दुल जी का निधन मेघालय के शिलांग में हुआ था | उस समय वो  वहां पर लेक्चर देने गए थे| कलाम ने अपने आखिरी कुछ घंटे ऐसे गुजारे हैं सभी के लिए यादगार बन गए हैं| बता दें कि, भारत की ‘अग्नि’ मिसाइल को उड़ान देने वाले मशहूर वैज्ञानिक अब्दुल कलाम अपने आख़िरी समय में आईआईएम शिलॉन्ग में लेक्चर दे रहे थे, तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ गया और इसके बाद उन्हें बहुत जल्द अस्पताल पहुंचाया  गया, लेकिन डॉक्टर कुछ करने में नाकाम रहें और 83 वर्ष की आयु में कलाम  का निधन हो गया था|

एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था और उनके पिता एक मछुआरे थे, उन्होंने कई व्याख्यानों में  जिक्र करते हुए बताया कि, वो शुरुआती जीवन में अखबार बेचने का काम करते थे, लेकिन समय कब पलट जाये ये तो किसी को मालूम भी नहीं होता है|

इसी तरह कौन जानता था, कि ये मामूली सा अखबार बेचने वाला लड़का बड़ा होकर देश का चोटी का वैज्ञानिक बन जाएगा और साथ में  राष्ट्रपति पद की शोभा भी बढ़ाएगा| वहीं अब्दुल जी आवाज में इतनी मिठास थी कि वो अपनी मीठी जुबान से हजारों की संख्या में भीड़ इकठ्ठा कर लेते थे| इसके अब्दुल जी ने अपने जीवन में दो दर्जन किताबें भी लिखीं| इसके बावजूद भी वो  अपने ट्विटर प्रोफाइल पर खुद को एक ‘लर्नर’ ही लिखते थे|

कलाम से जुडी ये रोचक बातें 

जब अब्दुल आठ साल के ही थे तभी वो सुबह 4 बजे उठकर गणित पढ़ने के लिए निकल पड़ते थे |अब्दुल जी ने बताया है कि, उनके टीचर हर साल पांच बच्चों को मुफ्त में गणित पढ़ाते थे, लेकिन वो बिना नहाए आने वाले बच्चों को नहीं पढ़ाते थे| ट्यूशन से आने के बाद वो नमाज पढ़ते और इसके बाद वो सुबह आठ बजे तक रामेश्वरम रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर न्यूज पेपर बांटते थे|

कलाम ‘एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी’ में आने के पीछे अपनी पांचवी क्लास के टीचर सुब्रह्मण्यम अय्यर को वजह बताते हुए कहते हैं, ‘वो हमारे अच्छे टीचर्स में से थे| एक बार उन्होंने क्लास में पूछा कि चिड़िया कैसे उड़ती है? क्लास के किसी छात्र ने इसका उत्तर नहीं दिया तो अगले दिन वो सभी बच्चों को समुद्र के किनारे ले गए| वहां कई पक्षी उड़ रहे थे| कुछ समुद्र के किनारे उतर रहे थे, तो कुछ बैठे थे|

वहां उन्होंने हमें पक्षी के उड़ने के पीछे के कारण को समझाया साथ ही पक्षियों के शरीर की बनावट को भी विस्तार पूर्वक बताया जो उड़ने में सहायक होता है| उनके द्वारा समझाई गई ये बातें मेरे अंदर इस कदर समा गई कि मुझे हमेशा महसूस होने लगा कि मैं रामेश्वरम के समुद्र तट पर हूं और उस दिन की घटना ने मुझे जिंदगी का लक्ष्य निर्धारित करने की प्रेरणा दी| बाद में मैंने तय किया कि उड़ान की दिशा में ही अपना करियर बनाउं| मैंने बाद में फिजिक्स की पढ़ाई की और मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की|

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