सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक आयोग को निर्देश दिया है,कि तीन माह के अंदर अल्पसंख्यक की परिभाषा निर्धारित करनें का निर्देश जारी करे | भाजपा नेता अश्वनी कुमार उपाध्याय ने जनहित याचिका दाखिल कर अल्पसंख्यकों को ‘अल्पसंख्यक संरक्षण’ दिये जाने की मांग की है, याचिका में मांग की गई है, कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम की धारा 2(सी) को रद्द किया जाए, क्योंकि, यह धारा मनमानी, अतार्किक और अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन करती है|
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उन्होंने याचिका में अल्पसंख्यक की परिभाषा और अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करनें की बात कही है ताकि यह सुनिश्चित हो कि सिर्फ उन्हीं अल्पसंख्यकों को संविधान के अनुच्छेद 29-30 में अधिकार और संरक्षण मिलेगा, जो वास्तव में धार्मिक और भाषाई, सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक रूप से प्रभावशाली न हों और जो संख्या में बहुत कम हों।
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) को तीन माह में इससे संबंधित रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने उन सभी राज्यों में जहां हिंदू संख्या के अनुसार कम हैं, और वहां दूसरे धर्म की बहुसंख्यक आबादी है, वहां हिंदुओं की स्थिति का सही आकलन कर उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा देने या नहीं देने के लिए रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय से अल्पसंख्यक पैनल में अपने प्रतिवेदन को फिर से दाखिल करने के भी निर्देश दिए हैं| इस प्रकरण पर तीन माह के अन्दर निर्णय लिए जानें का आदेश पारित हुआ है|
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