Sawan 2019: श्रावण मास की शुरुवात हो चुकी हैं, और इसी के साथ सभी भक्तों की कांवड़ यात्रास भी प्रारम्भ हो गई है| सभी भक्तगण कावड़ लेकर निकल रहें हैं, और गली-मोहल्ले ‘बोल बम’, ‘हर हर महादेव’ के जयकारे लगाते हुए गुजर रहें हैं| माना जाता है कि, रावण पहला कांवड़िया था, जो अपने आराध्य बाबा बैद्यनाथ से मिलने के लिए पैदल ही कंटकाकीर्ण मार्ग की यात्रा पर निकल पड़ा था।
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इसी के साथ यह भी माना जाता है कि, भगवान राम पहले कांवड़िये थे, जो मीलों यात्रा कर रामेश्वरम पहुंचे और वहां शिवलिंग की पूजा-अराधना की। बता दें कि कांवड़ यात्रा पर निकले सभी भक्त माह में श्रेष्ठ श्रावण यात्रा पूरी कर भोले शंकर का गंगा जल से अभिषेक करते हैं।
तीर्थ एक संस्कृत शब्द होता है, जिसका अर्थ है बिंदु के पार (क्रॉसिंग ओवर द प्वाइंट)। इसका अभिप्राय एक ऐसे पवित्र स्थान से होता है, जो अपने यहां आने वाले सभी भक्तों के पवित्रता का संचार कर सके। हिंदू के साथ-साथ इस तीर्थ यात्रा का महत्व बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई, इस्लाम, पारसी, यहूदी, ताओ (चीन में प्रचलित), शिंतो (जापान में प्रचलित) आदि धर्मो में भी दर्शाया गया है।
जानकारी देते हुए बता दें कि, उत्तराखंड के ऋषिकेश के आगे एक पवित्र स्थान है, जहां माना जाता है कि, ऋषि वशिष्ठ और उनकी पत्नी अरुंधती ने तप किया था। वहां पर गुफा के अंदर जाने वाले सभी भक्तों को लगेगा कि यह बहुत जाग्रत जगह है। उसके अंदर पहुंचने के बाद आप बहुत ही अच्छा महसूस करेंगे | वर्तमान समय में भी कई तीर्थ स्थान पर सच्चे ऋषि-मुनि योग-ध्यान व प्रार्थना-तपस्या में लीन है| जिनसे आप अभी भी ऊर्जा का एहसास आसानी से कर सकते हैं।
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