आरटीआई कानून में संशोधन को लेकर मोदी सरकार पर लगा आरोप

शुक्रवार 19 जुलाई को नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकसभा में सूचना का अधिकार (RTI) संशोधन विधेयक-2019 पेश कर दिया था| वहीं अब सदन ने चर्चा के बाद इस बिल को पारित कर दिया है। पारित हो जाने के बाद अब यह बिल राज्यसभा में पेश होगा। राज्यसभा से पास हो जाने के बाद इसमें राष्ट्रपति के दस्तखत कराये जाएंगे इसके बाद पुराने बिल की जगह नया कानून लागू हो जाएगा|

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बता दें, कि नए क़ानून के लागू होते ही कई पुराने प्रावधानों में बदलाव हो जायेंगे| वहीं इस क़ानून का मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के साथ -साथ टीएमसी, बसपा, सपा, डीएमके और एआईएमआईएम  विरोध करने में लगी हुई हैं| इसके अलावा राज्य सभा में पेश करने से पहले उसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग भी की जा रही है|

इस बिल में मूल कानून RTI एक्ट-2005 की धारा 13 और 16 में अहम बदलाव करने का प्रस्ताव रखा गया है। मूल कानून 2005 की धारा 13 केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त और अन्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति, वेतन-भत्ते एवं सेवा में शामिल है। इस धारा में कहा गया है कि, सीआईसी और अन्य आईसी की नियुक्ति पांच साल के लिए या उनकी उम्र 65 साल होने तक (दोनों में से जो भी पहले हो) की जाएगी लेकिन नए प्रस्तावित बिल के मुताबिक इन आयुक्तों का कार्यकाल केंद्र सरकार तय करेगी।

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