जानिए कब है शरद पूर्णिमा, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व

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हिन्‍दू धर्म में शरद पूर्णिमा का एक विशेष महत्‍व होता है| ऐसी मान्‍यता है कि, शरद पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं| बहुत से लोग शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं| कहा जाता है कि, इस दिन है चंद्रमा धरती पर अमृत की वर्षा करता है| शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा, माता लक्ष्‍मी और भगवान विष्‍णु की पूजा की जाती है| 

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शरद पूर्णिमा का चांद और साफ आसमान मॉनसून के पूरी तरह चले जाने का प्रतीक कहलाता है| कहते हैं कि, ये दिन इतना शुभ और सकारात्मक होता है, कि छोटे से उपाय से बड़ी-बड़ी विपत्तियां टल जाती हैं| पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था, इसलिए धन प्राप्ति के लिए भी ये तिथि सबसे उत्तम मानी जाती है|”

शरद पूर्णिमा कब है?

अश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते है| इस साल शरद पूर्णिमा 13 अक्टूबर, रविवार को मनाई जाएगी|

 शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त

 पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 अक्‍टूबर 2019 की रात 12 बजकर 36 मिनट से

 पूर्णिमा तिथि समाप्‍त: 14 अक्‍टूबर की रात 02 बजकर 38 मिनट तक

 चंद्रोदय का समय: 13 अक्‍टूबर 2019 की शाम 05 बजकर 26 मिनट

शरद पूर्णिमा का महत्व  

कहा जाता है कि, “जो विवाहित स्त्रियां इस दिन व्रत रखती हैं, उन्‍हें संतान की प्राप्‍ति होती है| जो माताएं इस व्रत को करती हैं, उनके बच्‍चे दीर्घायु होते हैं| वहीं कुंवारी लड़कियों के इस व्रत को करने से उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है| 

शरद पूर्णिमा के दिन प्रेमावतार भगवान श्रीकृष्ण, धन की देवी मां लक्ष्मी और सोलह कलाओं वाले चंद्रमा की उपासना से अलग-अलग वरदान प्राप्त होते  है|

शरद पूर्णिमा की रात में खुले आसमान में खीर रखने का विधान होता है| इस दिन लोग खीर बनाते हैं, और फिर 12 बजे के बाद उसे प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं| मान्‍यता है कि, इस दिन चंद्रमा आकाश से अमृत बरसाता इसलिए खीर भी अमृत वाली हो जाती है| ये अमृत वाली खीर में कई रोगों को दूर करने की शक्ति रखती है|”

शरद पूर्णिमा व्रत विधि

1.शारद पूर्णिमा के दिन सुबह ही सबसे पहले इष्ट देवता की पूजा की जाती है|

2.इस दिन इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजन करने का विधान होता है|

3.ब्राह्माणों को खीर का भोजन कराया जाता है, और साथ ही उन्हें दान दक्षिणा भी दी जाती है|

4.इस व्रत को खासकर लक्ष्मी प्राप्ति के लिए रखा जाता है| इस दिन जो लोग जागरण करते हैं, उन्हें धन-संपत्ति में वृद्धि होती है|

5.इस दिन रात के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन  किया जाता है|

6.पूर्णिंमा को मंदिर में खीर आदि दान किया जाता है| वहीं, ऐसा माना जाता है कि, इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है|

7.रात 12 बजे के बाद खीर का प्रसाद अपने घर के परिजनों को बांटने का विधान है|

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