क्यों मनाते है शब-ए-बारात, Shab-e-Barat का इस्लाम में क्या है महत्व

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मुस्लिम कैलेंडर के अनुसार शाबान माह की 14 तारीख को शब-ए-बारात मनाया जाता है | शब-ए- बारात में शब का अर्थ रात है तथा बारात का अर्थ बरी है | मुस्लिम समुदाय में इस रात को फजीलत (महिमा) कहा जाता है | सभी मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह की इबादत करते है | वह अल्लाह से दुआ मांगते है और जो आज तक उन्होंने गलत काम किये है उनके लिए वह माफ़ी मांगते है |

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Shab-e-Barat का इस्लाम महत्व

शब-ए-बारात को (इबादत, तिलावत और सखावत) जिसे सामान्य भाषा में दान- पुण्य करना कहते है, को सभी मुस्लिम बड़ी संख्या में करते है | इस रात को मस्जिदों और कब्रिस्तानों में सजावट की जाती है | शब-ए-बरात की रात को कब्रिस्तानों में बहुत भीड़ इकट्ठा होती है |

इस रात को पिछले वर्ष किये गए कर्मों के लेखा-जोखा को बनाने और नए साल में भविष्य को तय करने की रात को ही शब-ए-बरात के नाम से पुकारा जाता है |

शब-ए-बरात की पूरी रात को इबादत में गुजारने की परंपरा है | इस रात में नमाज, तिलावत-ए-कुरआन, कब्रिस्तान की जियारत और अपनी क्षमता के अनुसार दान- पुण्य करने में बिताया जाता है | मालवा-निमाड़ में कई प्रकार के स्वादिष्ट मिष्ठान बनाये जाते है | यहां पर फातेहा के साथ शब-ए- बारात को मनाया जाता है |

मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में इस रात को शानदार सजावट की जाती है | इस रात को मुस्लिम धर्मावलंबियों के द्वारा जुलूस और जल्से का इंतजाम किया जाता है | शब-ए-बरात की रात शहर में कई स्थानों पर जलसों का आयोजन किया जाता है |

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