लोकसभा अध्यक्ष चुनाव, आखिर ओम बिड़ला को ही भाजपा ने क्यों चुना – जानिए वजह

नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में लोकसभा अध्यक्ष के रूप में बीजेपी सांसद ओम बिड़ला ने जिम्मेदारी ग्रहण की है| बीजेपी ने इस बार अनुभव को प्रमुखता न देते हुए दूसरी बार के सांसद ओम बिड़ला को जब स्पीकर बनाने का फैसला किया, तो सभी स्तब्ध रह गए क्योंकि इस बार स्पीकर की रेस में बिड़ला का नाम दूर-दूर तक नहीं था, लेकिन जब बुधवार को ओम बिड़ला लोकसभा अध्यक्ष बने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में साफ कर दिया, कि उन्होंने बिड़ला को ही यह अहम जिम्मेदारी क्यों दी है?

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ओम बिड़ला राजस्थान के कोटा-बूंदी से सिर्फ दो बार वर्ष 2014 और 2019 में चुनकर लोकसभा पहुंचे हैं, इसलिए लोकसभा स्पीकर के तौर पर उनका नाम सामने आने पर कई लोगों को हैरानी हुई | 17वीं लोकसभा में स्पीकर चुने गये ओम बिड़ला का अनुभव बाकी स्पीकरों के अपेक्षा थोड़ा कम है, परन्तु राजनीति में उनका सफर काफी लंबा है।

भाजपा ने आखिर ओम बिड़ला को ही क्यों चुना 

वर्ष 2014 में लोकसभा के लिए चुने जाने से पहले उन्होंने 2003 से 2013 तक लगातार तीन बार कोटा साउथ विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया था। राजस्थान में एक बार वे संसदीय सचिव का रोल भी अच्छे से निभा चुके हैं। उनके ऐसे ही बेदाग राजनीतिक छवि और दशकों के सियासी अनुभव के कारण ही मोदी-शाह ने उन्हें स्पीकर की जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया ।

ओम बिड़ला को संघ द्वारा भी पसंद किया जाता है। प्रधानमंत्री मोदी और शाह से भी उनके सीधे संबंध हैं, इसके साथ ही उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के साथ-साथ गुजरात व बिहार के प्रभारी भूपेंद्र यादव के भी नजदीकी माने जाते हैं।  वर्ष 2014 की लोकसभा में ओम बिड़ला को प्राक्कलन समिति, याचिका समिति, ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति और सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया था।

ओम बिड़ला की पहचान राजनीति के माध्यम से जनसेवा करने वाले की रही है, उन्होंने राजनीति में रहते हुए अनेक ऐसे कार्य  किए हैं, जिसके कारण वे लोकप्रिय रहे हैं। उन्होंने असहाय महिलाओं की मदद के साथ ही अलग-अलग सामाजिक संगठनों के माध्यम से उन्होंने अपने क्षेत्र के दिव्यांगों, कैंसर पीड़ितों और थैलेसेमिया रोगियों की मदद की।

ओम बिड़ला नें दिव्यांगों को मुफ्त साइकिलें, व्हीलचेयर और कान की मशीनें बंटवाने में भी उन्होंने अहम रोल अदा किया है। प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए उन्होंने कोटा में लगभग एक लाख पेड़ लगाने के लिए ‘ग्रीन कोटा वन अभियान’ भी लांच किया था।

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