किसानो की कर्जमाफी से बढ़ सकता है बैंको का NPA :मध्यप्रदेश

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भाजपा को हराकर कांग्रेस ने तीन राज्यों में अपना झंडा लहराया है | इन राज्यों में अपनी सत्ता हासिल करके इन्होंने यहाँ पर आयोजित कार्यक्रमों में ऐलान करना भी शुरू कर दिया है | सबसे पहले मध्यप्रदेश में कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के दौरान कुछ घंटों बाद ही किसानों की कर्जमाफी का ऐलान कर दिया | इन ऐलानों से किसान काफी खुश तो हो जाते हैं लेकिन उन्हें आगे समस्या का सामना भी करना पड़ता हैं इसके साथ ही बैंकों का भी 24 प्रतिशत एनपीए बढ़ सकता है |

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मुख्यमंत्री द्वारा किये गये ऐलानो से किसान बैंको से लिए हुए कर्ज को चुकाना बंद कर देते हैं | जिससे बैंक का एनपीए बढ़ जाता है | इसके बाद बैंक नया कर्ज देने के लिए काफी सोच-विचार करती है | पहले का कर्ज न चुकाने के कारण से बैंक किसानों को दूसरी बार इतनी जल्दी लोन नहीं देती है बैंक ऐसा इसलिए करने लगती है क्योंकि ऐलान के मुताबिक कर्जमाफी की रकम बैंकों में इतनी जल्दी नहीं पहुँचती हैं | बैंक तब तक किसानों के साथ ऐसा करती हैं | जब तक राज्य सरकार लिखित राशि की प्रतिपूर्ति नहीं कर देती हैं |

इसके कारण किसानों के क्रेडिट कार्ड से पैसा बहुत कम निकल पाता है | जिसके बाद जरूरत के लिए किसानों को बैंक के बाहर दूसरे स्रोतों से कर्ज लेना पड़ जाता है। ताजा आंकड़े के मुताबिक, मध्यप्रदेश में 2014-15 से लेकर जून 2018 तक एनपीए बढ़कर दोगुने 10.6 प्रतिशत तक पहुंच गए हैं। एनपीए की फुल फॉर्म Non-performing assest होती है | राज्य स्तरीय बैंकरों के अनुमान के मुताबिक, सिर्फ एक साल की अवधि में राज्य के किसानों के कर्जमाफ पर 24 प्रतिशत एनपीए बढ़ गया है।

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