भारत और पाकिस्तान ने गुरुवार को ऐतिहासिक करतारपुर गलियारे को चालू करने संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए। इससे अब भारत के सिख श्रद्धालु पाकिस्तान स्थित पवित्र दरबार साहिब तक जा पाएंगे। करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी शुरू हो चुका है| लगभग चार किलोमीटर लंबे करतारपुर कॉरिडोर का कार्य सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की 550वीं जयंती से एक सप्ताह पहले पूरा जाएगा| इसके लिए प्रत्येक श्रद्धालु से 20 डॉलर अर्थात लगभग 1500 रुपये की फीस देनी होगी|
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समझौते पर हस्ताक्षर होने के तुरंत बाद श्रद्धालुओं का ऑनलाइन पंजीकरण शुरू हो गया है। करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नारोवाल जिले में स्थित है, जो कि डेरा बाबा नानक के समीप सीमा से लगभग 4.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| यह गुरुद्वारा सिखों के लिए काफी पवित्र है, क्योंकि गुरु नानक देव ने अपने जीवन के 18 साल और अपना अंतिम समय भी यहीं व्यतीत किया था|
सिख समुदाय लंबे समय से इस गलियारे को खोलने की मांग कर रहा था, दोनों देशो की सहमती के बाद अब यह संभव हुआ है| समझौते के तहत गलियारा सप्ताह के सातों दिन सूर्योदय से सूर्योस्त तक खुला रहेगा। प्रतिदिन कुल पांच हजार भारतीय सिख पहुंचेंगे और उसी दिन वापस चले जाएंगे। तीर्थयात्रियों को अपनी पहचान के लिए सिर्फ अपना पासपोर्ट लाना होगा और इस पर मुहर नहीं लगाई जाएगी। गुरुद्वारा (दरबार साहिब करतारपुर) आने वाले श्रद्धालुओं की सूची उनके यात्रा कार्यक्रम से 10 दिन पहले भारत द्वारा साझा की जाएगी।
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