भैया दूज क्यों मनाया जाता है

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भैया दूज का यह त्यौहार दीपावली के तीसरे दिन दिन मनाया जाता है| यह ऐसा त्यौहार है, जो भाई-बहन के रिश्ते की प्यार की डोर से मजबूत करता है| यह त्यौहार भी प्रमुख त्यौहारों में से एक है| हिन्दू धर्म में इस त्यौहार का विशेष महत्व होता है| यह त्योहर हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसे भाईदूज के साथ-साथ यमद्तिया के नाम से भी जाना जाता है। भैया दूज क्यों मनाया जाता है, और भैया दूज की पूरी कहानी के बारें में आपको विस्तार से जानकारी दे रहे है|

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इस दिन सभी बहने सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं, और फिर पूरे मन से पूजा करके निराहार रहकर अपने भाई को रोली चंदन का टीका लगाती हैं, और साथ ही में उनके उज्जवल भविष्य की मनोकामना करती है। इस त्यौहार सभी भाई-बहन दीपावली के दो दिन बाद बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते है|

भैया दूज की पूरी कहानी 

पौराणिक कथाओं के मुताबिक़, बताया जाता है कि, यमराज की बहन यमुना अपने भाई से बड़ा स्नेह करती थी। वह उन्हें हमेशा अपने घर आने का निवेदन करती, लेकिन यमराज अपने कामों में ज्यादा व्यस्त होने के कारण अपनी बहन के पास नहीं जा पाते थे, लेकिन एक बार कार्तिक शुक्ल के दिन यमुना ने एक बार फिर अपने भाई के घर आने के लिए निमंत्रित कर उन्हें वचनबद्ध कर लिया।

यमराज ने भी इस बात को मानते हुए, अपनी बहन के घर पहुंच गए, लेकिन बहन के घर जाने से पहले उन्होंने नरक में आने वाले सभी जीवों को मुक्त कर दिया। इसके बाद यमराज अपनी बहन यमुना के घर पहुंचे, जिन्हें देख उनकी बहन यमुना का खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। उस दिन उनकी बहन ने अपने भाई का स्वागत बड़े ही प्रसन्नता के साथ किया और टीका चंदन लगाकर भाई की आरती उतारी साथ ही कई तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाकर भी उन्हें खिलाए|

यमराज अपनी बहन के इस प्रेम भक्ति को देख बड़े ही खुश हुए और उनसे कुछ मांगने को कहां – तब यमराज की बहन यमुना नें कहां कि भद्र! आप हर साल इसी दिन मेरे घर आया करो और इस दिन जो भी बहन अपने भाई का आदर सत्कार करेगी, उसे कभी भी आपका भय ना रहे। यमराज ने उनकी बात स्वीकार कर ली और वहां से विदा ले ली, तब से लेकर आज तक इस रीति को लोग मानते चले आ रहे है। इसी वजह से आज के दिन भैयादूज को यमराज तथा यमुना की पूजा की जाती है|

इस दिन प्रत्येक भाई अपनी बहन के घर पहुंचता है, और अपने बहन से टीका लगवाता  है और साथ ही भाई-बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा लेते है। इसके अतिरिक्त सभी बहने अपने भाई के उज्जवल भविष्य और लंबी आयु की प्रार्थना भी करती है।

भैयादूज पूजन विधि-

भैयादूज के दिन हर बहने सुबह ही स्नान करके भगवान विष्णु और गणेश की बिना कुछ खाये पिए पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करती है| इसके बाद वो अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है फिर बाद में वो अपने व्रत को तोड़ती है। इस दिन यमुना नदी के तट पर नहाना और खाना कभी अच्छा माना जाता है, या जो भी पवित्र नदी आपके यहां से निकली हो उसमें नहाने का रिवाज होता है।  

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