पूजा पाठ और धार्मिक कार्यों में बांधते हैं रक्षा सूत्र – जानिए क्या है वजह और इसका महत्व

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    पूजा पाठ और धार्मिक कार्यों में कलाई पर रक्षा सूत्र या मौली बाँधी जाती है, लेकिन इसका कारण क्या है इसके बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होगी | यह एक वैदिक परंपरा है, धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने पर संकल्प लेने के लिए इसे संकल्प सूत्र के रूप में बांधा जाता है | धार्मिक कार्यों के लिए किये गए धार्मिक अनुष्ठान में यह पंडित जी के द्वारा कलाई पर बांधा जाता है |

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    महत्व

    पौराणिक कथा में भगवान विष्णु ने वामन के रूप में अवतार लिया था | उन्होंने राजा बलि की अमरता के लिए उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था | इसके बाद हिन्दू धर्म में इस संकल्प सूत्र को रक्षा सूत्र के तौर पर बांधा जाता है | माता लक्ष्मी ने अपने पति की रक्षा के लिए राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा था जिसके बाद इसे रक्षा बंधन का भी प्रतीक भी माना जाता है |

    रक्षा सूत्र बांधने का मंत्र

    येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

    तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

    त्रिदेव और त्रिदेवियों से जुड़ी है मौली

    मौली तीन कच्चे धागे की बनायी जाती है | इसे पुरुष और कन्या अपनी दायीं कलाई पर बांधती है तथा शादीशुदा महिलाएं इसे बायीं कलाई पर बांधती है | प्रत्येक की कलाई पर तीन रेखाएं होती हैं | इन्हें मणिबंध के नाम से जाना जाता है |

    यह रेखाएं ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक मानी जाती है | इन तीनों रेखाओं में शक्ति, सरस्वती और लक्ष्मी का वास माना जाता है | पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब मंत्र पढ़कर मौली बाँधी जाती है, तो वह त्रिदेव और त्रिदेवियों को समर्पित हो जाता है | इसके बाद त्रिदेव और त्रिदेवियां आपकी रक्षा करते है |

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