भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वर्ष 2019 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा 04/04/2019 को की है| इसमें आरबीआई ने बैंकों के लिए रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती की है, अब यह 6 प्रतिशत कर दी गयी है| इसके साथ ही मौद्रिक नीति पर में कोई बदलाव नहीं किया गया है| मौद्रिक नीति समिति में कुल छ: सदस्य है, छ: सदस्य में से चार सदस्यों ने नीतिगत दर में कटौती का पक्ष लिया, जबकि दो सदस्यों ने रेपो दर स्थिर रखने का समर्थन किया|
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिये 7.20 प्रतिशत की दर से जीडीपी वृद्धि का पूर्वानुमान लगाया है| मौद्रिक नीति समिति ने वित्त वर्ष 2018- 19 की चौथी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति का संशोधित अनुमान घटाकर 2.40 प्रतिशत कर दिया है|
इसके साथ ही आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिये 2.90 से 3 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही के लिये 3.50 से 3.80 प्रतिशत कर दिया है|
रेपो रेट घटने से क्या होगा
एक्सपर्ट्स के अनुसार “फ्लोटिंग रेट लोन्स के लिए एक्सटर्नल बेंचमार्क का RBI का प्रस्ताव तारीफ के काबिल है, इससे न सिर्फ MSME सेक्टर को फायदा होगा बल्कि फ्लोटिंग रेट पर होम और ऑटो लोन लेने वाले ग्राहकों को भी फायदा होगा”|
बैंक अब क्या करेंगे
बैंक अब भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार कर्ज लेने वालों के लिए विभिन्न कैटेगरी की फ्लोटिंग ब्याज दरों को एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक करेंगे| आरबीआई ने डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी पॉलिसीज के आधार पर कहा है कि अप्रैल 2019 से बैंक मौजूदा इंटरनल बेंचमार्क सिस्टम जैसे प्राइम लेंडिंग रेट, बेस रेट, मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) की जगह एक्सटर्नल बेंचमार्क्स का इस्तेमाल किया जायेगा|
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