आज मंगलवार 23 जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने कर्ज में फंसी कंपनी आम्रपाली समूह का रीयल एस्टेट नियमन प्राधिकरण (रेरा) के तहत रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया। इसके साथ ही आम्रपाली की संपत्तियों के लिये मिले पट्टे भी न्यायालय ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों से रद्द कर दिए हैं |वहीं सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप के 45 हजार फ्लैट धारकों को बड़ी राहत प्रदान करते हुए कहा, कि आम्रपाली की सभी अधूरी परियोजनाओं को एनबीसीसी पूरा करेगी। इसके अलावा अदालत ने निर्देश देते हुए कहा कि, प्रवर्तन निदेशालय को आम्रपाली समूह के अधिकारियों एवं निर्देशकों द्वारा किए गए धनशोधन की जांच शुरू कर दी जाए|
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न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय यू. ललित की बड़ी पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान आम्रपाली समूह की सभी लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिये एनबीसीसी को नियुक्त कर दिया है। पीठ ने अधिवक्ता आर. वेंकटरमणी को कोर्ट रिसीवर घोषित कर दिया है | अब वेंकटरमणी को आम्रपाली की संपत्तियों के सारे अधिकार उपलब्ध कराये जाएंगे|
न्यायालय ने कहा कि वेंकटरमणी के पास यह अधिकार रहेगा कि वह बकाया वसूली के लिये आम्रपाली की संपत्तियों की बिक्री के लिये तीसरे पक्ष से करार कर सकेंगे। पीठ ने कहा कि विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के प्रावधानों का उल्लंघन कर घर खरीदारों के पैसे का हेर-फेर किया गया। न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय को आम्रपाली के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अनिल शर्मा तथा कंपनी के अन्य निदेशकों और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किये गये कथित मनी लौड्रिंग (धन शोधन) की जांच का भी निर्देश दिया है।
न्यायालय ने मकान खरीदारों को बड़ी राहत देते हुए नोएडा और ग्रेटर नोएडा के प्राधिकरणों से कहा कि, वे आम्रपाली समूह की विभिन्न परियोजनाओं में पहले से रह रहे मकान खरीदारों को आवास पूर्ण होने संबंधी प्रमाणपत्र सौंपे।
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