जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी अर्थात जेएनयू की पूर्व छात्रा शेहला रशीद ने चुनावी राजनीति छोड़ने की घोषणा की है, उन्होंने कहा कि, मैं कश्मीरियों के साथ हो रहे बर्ताव को बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं| शेहला रशीद ने कहा कि वो एक्टिविस्ट के तौर पर कश्मीर के मुद्दों को उठाती रहेंगी| इस साल मार्च में शेहला ने पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल की पार्टी ‘जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स’ में शामिल होने का एलान किया था| पार्टी के लॉन्च के दौरान शेहला रशीद मंच पर मौजूद थीं|
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जम्मू-कश्मीर में 24 अक्टूबर को होने वाले बीडीसी चुनाव का जिक्र करते हुए शेहला नें कहा, कि कश्मीर में प्रतिबंध हटाने के लिए भारत पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव है| ऐसे में सरकार चुनाव कराकर यह दिखाना चाहती है, कि अभी भी लोकतंत्र जिंदा है| हालांकि जो चल रहा है, वो लोकतंत्र नहीं है बल्कि लोकतंत्र की हत्या है|
शेहला कश्मीर मुद्दे पर मोदी सरकार के रुख की आलोचना करती रही हैं| इसी वर्ष 5 अगस्त को जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का ऐलान किया, तो उन्होंने इसके विरोध में भी शेहला ने आवाज उठाई| यही नहीं उन्होंने सेना पर कश्मीर के लोगों के साथ बदसलूकी के आरोप लगाए, जिसके बाद सेना ने आरोपों को खारिज किया| भारतीय सेना ने कहा, ”शेहला रशीद की तरफ से लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं|”
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