इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के लगभग एक लाख से अधिक सहायक शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था, कि जिन लोगों का टीईटी रिजल्ट पहले आया और बीएड या बीटीसी का रिजल्ट बाद में आया उनका टीईटी प्रमाण पत्र वैध नही माना जाएगा। हाईकोर्ट के इस निर्णय से लगभग पचास हजार से अधिक शिक्षको की नौकरी पर संकट आ गया था, परन्तु सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद के इस निर्णय को निरस्त करते हुए सहायक शिक्षकों को बड़ी राहत दी है।
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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 मई के अपने आदेश में बेसिक शिक्षा अधिकारियों से कहा था, कि जिन शिक्षकों के प्रशिक्षण का परिणाम उनके टीईटी रिजल्ट के बाद आया है, उनका चयन रद्द कर दें। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। हालांकि, इलाहाबाद कोर्ट के फैसले पर सरकार द्वारा अपना रुख स्पष्ट नहीं किया था।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश का असर वर्तमान में चल रही 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती पर भी पड़ने वाला था, परन्तु सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से यूपी के सहायक शिक्षकों को राहत दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से प्रभावित शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट में शिक्षकों का कहना था, कि उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा यूपी टीईटी के लिए 4 अक्टूबर 2011 और 15 मई 2013 को जारी शासनादेश में इस बात का जिक्र नहीं था, कि जिनके प्रशिक्षण का परिणाम टीईटी के बाद आएगा उन्हें टीईटी का प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा।
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