Navratri 2019: नवरात्रि में सभी मंदिरों में भक्तों की भीड़ जमा है| नवरात्रि के दौरान बड़ी संख्या में भक्त मंदिरों के दर्शन के लिए जाते है और वहां पर पूरे मन से देवी माँ की आरधना करते है, इसलिए यदि आप भी देवी माँ के दर्शन के लिए जाना चाहते है, तो बता दें कि, माँ दुर्गा के ये मंदिर बेहद ख़ास है, जहाँ पूरे साल लोगो का सैलाब रहता है|
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ज्वाला जी का मंदिर, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में शामिल है| हिमाचल के इस मंदिर में मां दुर्गा के नौ रूपों की ज्योति हमेशा जलती रहती है| इन नौ ज्योतियों के नाम महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजीदेवी है जिनके दर्शन ज्योति रूप में होते हैं| इस मंदिर को जोता वाली का मंदिर और नगरकोटके नाम से भी जाना जाता है| यहां माता सती की जीभ गिरी थी, इसीलिए यह 51 शक्तिपीठों में शामिल हो गया है|
मनसा देवी, हरिद्वार, उत्तराखंड
मान्यता है कि, इस मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं, इसीलिए इस मंदिर का नाम मनसा देवी पड़ा| इस मंदिर में मौजूद पेड़ की शाखा पर भक्त पवित्र धागा बांधते हैं| मन्नत पूरी होने के बाद वो भक्त यहां वापस आकर धागे को खोलते हैं|
पाटन देवी, बलरामपुर, उत्तर प्रदेश
इस स्थान पर माता सती का दायां कंधा गिरा थान| इसी वजह से यह स्थान 51 शक्तिपीठों में शामिल हो गया है| देवी पाटन को पातालेश्वरी देवी भी कहा जाता है| वहीं मान्यता है कि, इसी स्थान पर माता सीता धरती मां की गोद में समाकर पाताल लोक चली गईं, इसीलिए इस स्थान का नाम पावालेश्वरी देवी पड़ा|
कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी, असम
कहा जाता है कि, इस स्थान पर माता सती की योनी गिरी थी, इसीलिए यहां रक्त में डूबे हुए कपड़े का प्रसाद वितरित किया जाता है| मान्यता है कि, तीन दिन जब मंदिर के दरवाजे बंद किए जाते हैं, तब मंदिर में एक सफेद रंग का कपड़ा बिछाया जाता है, जो मंदिर के पट खोलने तक लाल हो जाता है|
अम्बाजी मंदिर, बनासकांठा, गुजरात
यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में शामिल सबसे प्रमुख मंदिर कहा जाता है, क्योंकि यहां माता सती का दिल या हृदय गिरा था| यह ऐसा मंदिर हैं जहाँ कोई भी प्रतिमा नहीं स्थापित है, बल्कि यहाँ पर मौजूद श्री चक्र की पूजा होती है| यह मंदिर माता अम्बाजी को संर्पित है|
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