नवरात्रि का यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है | इसमें ज्यादातर घरों में 9 दिनों तक माता दुर्गा की पूजा बहुत ही श्रध्दा के साथ की जाती है | माता दुर्गा, भगवान शिव की पत्नी पार्वती जी का ही स्वरूप है। नवरात्रि में हर भक्त पूजा विधि विधान से करता ताकि मां दुर्गा को प्रसन्न कर सके जिससे माँ अपनी कृपा भक्तों पर बनाये रखे | परन्तु यदि आपके पास समय कम है और आप पूरी विधि के साथ दुर्गा माता की पूजा नहीं कर पाते हैं तो आप मां दुर्गा के इन 108 नामों का जप कर लें तो आपकी पूजा सफल हो जायेगी क्योंकि, मां दुर्गा के 108 नामों से हजार गुना सुख-सम्पत्ति और सफल होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है |
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इस तरह से हैं मां दुर्गाकी अष्टोत्तरशतनामावली
सती
साध्वी,
भवप्रीता,
भवानी,
भवमोचनी,
आर्या,
दुर्गा,
जया,
आद्या,
त्रिनेत्रा,
शूलधारिणी,
पिनाकधारिणी,
चित्रा,
चंद्रघंटा,
महातपा,
मन,
बुद्धि,
अहंकारा,
चित्तरूपा,
चिता,
चिति,
सर्वमंत्रमयी,
सत्ता,
सत्यानंदस्वरुपिणी,
अनंता,
भाविनी,
भव्या,
अभव्या,
सदागति,
शाम्भवी,
देवमाता,
चिंता,
रत्नप्रिया,
सर्वविद्या,
दक्षकन्या,
दक्षयज्ञविनाशिनी,
अपर्णा,
अनेकवर्णा,
पाटला,
पाटलावती,
पट्टाम्बरपरिधाना,
कलमंजरीरंजिनी,
अमेयविक्रमा,
क्रूरा,
सुंदरी,
सुरसुंदरी,
वनदुर्गा,
मातंगी,
मतंगमुनिपूजिता,
ब्राह्मी,
माहेश्वरी,
ऐंद्री,
कौमारी,
वैष्णवी,
चामुंडा,
वाराही,
लक्ष्मी,
पुरुषाकृति,
विमला,
उत्कर्षिनी,
ज्ञाना,
क्रिया,
नित्या,
बुद्धिदा,
बहुला,
बहुलप्रिया,
सर्ववाहनवाहना,
निशुंभशुंभहननी,
महिषासुरमर्दिनी,
मधुकैटभहंत्री,
चंडमुंडविनाशिनी,
सर्वसुरविनाशा,
सर्वदानवघातिनी,
सर्वशास्त्रमयी,
सत्या,
सर्वास्त्रधारिणी,
अनेकशस्त्रहस्ता,
अनेकास्त्रधारिणी,
कुमारी,
एककन्या,
कैशोरी,
युवती,
यति,
अप्रौढ़ा,
प्रौढ़ा,
वृद्धमाता,
बलप्रदा,
महोदरी,
मुक्तकेशी,
घोररूपा,
महाबला,
अग्निज्वाला,
रौद्रमुखी,
कालरात्रि,
तपस्विनी,
नारायणी,
भद्रकाली,
विष्णुमाया,
जलोदरी,
शिवदुती,
कराली,
अनंता,
परमेश्वरी,
कात्यायनी,
सावित्री,
प्रत्यक्षा,
ब्रह्मावादिनी।
नवरात्रि में अष्टोत्तरशतनामावली पढ़ने से भक्त को जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है।
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