आज चांद पर भारत रखेगा कदम, टिकी हैं दुनियाभर की निगाहें

0
379

Chandrayaan 2 Moon Landing tonight: आज भारत चाँद की तरफ एक और कदम बढ़ाने जा रहा है| आज शुक्रवार 6 सितंबर देर रात और शनिवार तड़के ‘चंद्रयान-2 का लैंडर ‘विक्रम चांद की सतह पर ऐतिहासिक सॉफ्ट लैंडिंग के लिए तैयार हो गया है, लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों के लिए यह समय बहुत ही कठिन होगा| भारत के इस कदम पर दुनियाभर की निगाहें टिकी हुई हैं|

Advertisement

इसे भी पढ़े: ISRO चीफ डॉ. के सिवन का बड़ा ऐलान- अब भारत खुद अपना स्पेस स्टेशन करेगा लॉन्च 

इसके साथ ही शनिवार तड़के चांद की सतह पर उतरने से 15 मिनट पहले इसकी रफ्तार भी कम की जाएगी। इसके 10 मिनट 30 सेकेंड के बाद जब विक्रम 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंच जाएगा तो इसकी रफ्तार को 526 किलोमीटर प्रति घंटे पर कर दिया जाएगा। यदि इसरो के वैज्ञानिकों ने इस सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता हासिल कर ली तो भारत भी रूस, अमेरिका और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।

इसके साथ ही भारत अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय लिखते हुए चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला विश्व का प्रथम देश हो जाएगा| अधिकारियों ने बताया कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्विज प्रतियोगिता के जरिए देशभर से चुने गए लगभग 60-70 हाईस्कूल छात्र-छात्राओं के साथ इस ऐतिहासिक लम्हे का सीधा नजारा देखने के लिए इसरो के बेंगलुरु केंद्र में मौजूद रहेंगे।

लैंडर ‘विक्रम शनिवार रात एक से दो बजे के बीच चांद पर उतरने के लिए नीचे की तरफ जाने प्रारम्भ कर देगा और इसके बाद रात डेढ़ से ढाई बजे के बीच यह पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा।  

इसरो ने कहा है कि, ‘चंद्रयान-2 अपने लैंडर को 70 डिग्री दक्षिणी अक्षांश में दो गड्ढों- ‘मैंजिनस सी और ‘सिंपेलियस एन के बीच ऊंचे मैदानी इलाके में उतारने का प्रयास करेगा। अंतरिक्ष एजेंसी के अघ्यक्ष के. सिवन ने कहा कि प्रस्तावित ‘सॉफ्ट लैंडिंग दिलों की धड़कन थाम देने वाली साबित होने जा रही है, क्योंकि इसरो ने ऐसा पहले कभी नहीं किया है।

यान के चांद पर उतरने की प्रक्रिया को समझाते हुए सिवन ने कहा था कि, एक बार जब लगभग 30 किलोमीटर की दूरी से संबंधित प्रक्रिया शुरू होगी तो इसे पूरा होने में 15 मिनट लगेंगे। लैंडर के चांद पर उतरने के बाद इसके भीतर से रोवर प्रज्ञान बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस यानी के पृथ्वी के 14 दिनों की अवधि तक अपने वैज्ञानिक कार्यों को अंजाम देगा।

इसे भी पढ़े:  चंद्रयान-2 को निचली कक्षा में उतारने का दूसरा चरण हुआ पूरा, अब रहेगा लैड़िग का इंतजार

Advertisement