उत्तर प्रदेश में रामगंगा नदी के किनारे बसा बरेली हिंदू-मुस्लिम कौमी एकता के लिए जाना जाता है| मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल का पांचाल क्षेत्र यही था, जहां से द्रौपदी थीं। यदि हम राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करे, तो बरेली यूपी की खास लोकसभा सीट है, जो बीजेपी का मजबूत गढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश की बरेली लोकसभा सीट राजनीतिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है|
पिछले लगभग तीन दशक से इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का एक छत्र राज रहा है| यहां से सांसद संतोष गंगवार कई बार इस सीट पर चुनाव जीत चुके हैं और इस समय केंद्र सरकार में मंत्री है| बरेली क्षेत्र में संतोष गंगवार का राजनीतिक दबदबा है| वर्ष 2019 में एक बार फिर बीजेपी को उम्मीद रहेगी, कि संतोष गंगवार पार्टी के लिए यहां से कमल खिलाएं|
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बरेली लोकसभा सीट का इतिहास
बरेली लोकसभा सीट पर अभी तक 16 बार बार चुनाव हुए हैं, इनमें से 7 बार भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है, जिसमें से 6 बार लगातार जीत दर्ज की गई थी| कांग्रेस ने वर्ष 1952, 1957 के चुनाव में यहां जीत दर्ज की, परन्तु 1962 और 1967 के चुनाव में यहां कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा और भारतीय जनसंघ ने यहां जीत दर्ज की. हालांकि, उसके बाद हुए तीन चुनाव में से दो बार कांग्रेस नें चुनाव में सफलता प्राप्त की |
वर्ष 1989 के चुनाव में बीजेपी की ओर से संतोष गंगवार जीते, जिसके बाद तो उन्होंने इस क्षेत्र को अपना गढ़ बना लिया| 1989 से लेकर 2004 तक लगातार 6 बार संतोष गंगवार यहां से चुनाव जीते. हालांकि, 2009 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2014 में एक बार फिर वह बड़े अंतर से जीत कर लौटे|
बरेली लोकसभा सीट का समीकरण
बरेली लोकसभा सीट पर दलित, वैश्य और मुस्लिम मतदाताओ का वर्चस्व रहा है| वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां कुल 16 लाख से अधिक मतदाता थे, इसमें से लगभग 9 लाख पुरुष और 7.5 लाख महिला मतदाता हैं| बरेली जिले में मुस्लिम जनसंख्या अधिक है| इस लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा सीटें आती हैं, इनमें मीरगंज, भोजीपुरा, नवाबगंज, बरेली और बरेली छावनी की सीटें आती हैं| वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में इन सभी 5 सीटों पर बीजेपी का ही कब्जा रहा था|
वर्ष 2014 में मतदान
पिछले लोकसभा चुनाव में यहां समूचे उत्तर प्रदेश की तरह मोदी लहर का असर दिखा था| बीजेपी के संतोष गंगवार को इस सीट पर 50 फीसदी से अधिक वोट प्राप्त किया था, जबकि दूसरे नंबर पर रहे समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को सिर्फ 27 फीसदी वोट मिले थे| वर्ष 2014 के चुनाव में यहां कुल 61 फीसदी मतदान हुआ था, इनमें से 6700 वोट नोटा में गए थे|
प्रमुख मुद्दे
ऐसा माना जा रहा है, कि 2019 में बरेली में भाजपा के खिलाफ ऐंटी इनकंबेंसी फैक्टर का असर पड़ सकता है। वहीं, बरेली में छोटे व्यापारियों का एक बड़ा वर्ग वर्तमान सरकार की नीतियों से खुश नहीं है, जिन्हें जीएसटी लागू होने के बाद काफी हानि का सामना करना पड़ा। बरेली में दरी और जरदोजी के कारोबारी अधिक हैं, परन्तु इन्हें जीएसटी में लग्जरी टैक्स स्लैब के दायरे में लाने के बाद व्यापारियों के साथ बुनकरों पर भी इसकी मार देखने को मिली और धंधे बंद होने के कगार पर आ गए।
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