बागपत लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास, क्या गठबंधन की ताकत तोड़ पायेगी BJP का चक्रव्यूह 

वर्ष 1967 में बागपत लोकसभा सीट अस्तित्व में आयी थी इसके पहले चुनाव में जनसंघ ने जीत दर्ज की थी इसके बाद दूसरे चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली| 1977 में इमरजेंसी के बाद पूरे राजनैतिक समीकरण बदल गए पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने लगातार 1977, 1980 और 1984 में यहाँ के सांसद रहे| इसके बाद चौधरी चरण सिंह के बेटे अजित सिंह 6 बार यहां से सांसद रह चुके है| वर्ष 1998 में अजित सिंह इस सीट पर चुनाव हार गए| इसके बाद लोकसभा चुनाव 2014 में वह तीसरे नंबर पर आ गए|

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नोट:- बागपत में मतदान पहले चरण के अंतर्गत 11 अप्रैल को होगा|

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गठबंधन के अंतर्गत यह सीट राष्ट्रीय लोकदल को मिली है यहाँ से अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी मैदान में हैं| लोकसभा चुनाव 2019 में बागपत सीट राष्ट्रीय लोकदल के लिए अस्तित्व की लड़ाई है| पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट से चौधरी अजित सिंह मैदान में थे जिन्हे हार का सामना करना पड़ा था|

लोकसभा चुनाव 2014 परिणाम

दल प्रत्याशी वोट प्रतिशत
भारतीय जनता पार्टी सत्यपाल सिंह 423,475 42.2 प्रतिशत
समाजवादी पार्टी गुलाम मोहम्मद 213,609 21.3 प्रतिशत
राष्ट्रीय लोक दल चौधरी अजित सिंह 199,516 19.9 प्रतिशत

पिछली लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते विरोधियों के सभी पत्ते बेकार साबित हो गए थे इसलिए अबकी बार गठबंधन किया गया है | इस गठबंधन से बीजेपी को नुकसान होने की सम्भावना बताई जा रही है | लेकिन यहाँ से बीजेपी ने सांसद सत्यपाल सिंह को मैदान में उतारा है, जिनकी छवि जनता के द्वारा अच्छी बताई जा रही है, भाजपा को इसका लाभ मिल सकता है |

लोकसभा चुनाव में इस बार 16 लाख के करीब मतदाता है, यहाँ पर लगभग  4 लाख जाट वोटर्स है| इसके बाद 3.50 लाख मुस्लिम वोटर्स है| दलित मतदाता लगभग 1.50 लाख है | चौथी बड़ी आबादी यादवों की है जिनकी संख्या 50 हजार के लगभग है| गुर्जर और राजपूत दोनों जाति के वोटर भी 1 लाख से ऊपर है|

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