आम आदमी पार्टी के विधायक आपस में भिड़े, अलका लांबा ने सौरभ भारद्वाज से कहा- थूक कर चाटना आपको शोभा नहीं देता

लोकसभा चुनाव के दौरान अभी भी पार्टियों में कयासबाजी जारी हैं| लोकसभा चुनाव के ऐलान से ही किसी न किसी नेता की आपस में भिड़ंत हो रही है| वहीं अब इसी तरह आम आदमी पार्टी के दो विधायक ट्वीटर पर आपस भिड़ गये| दोनों विधायकों के बीच कई घंटों तक आपसी जुबानी जंग जारी रही है|

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2 अप्रैल को कांग्रेस द्वारा घोषणा पत्र जारी होने के दोनों विधायकों के बीच भिड़ंत जारी हो गई| इसके बाद इसकी प्रतिक्रिया देते हुए अल्का लांबा ने ट्वीट कर कहा, कि हर पार्टी का अपना घोषणा पत्र होता है, कांग्रेस के घोषणा पत्र में पुड्डुचेरी को तो पूर्ण राज्य देने की बात है, पर दिल्ली को लेकर कोई बात नहीं है| साफ है कि कांग्रेस के लिए अब “दिल्ली-पूर्ण राज्य”मुद्दा नहीं रहा. वहीं आप इसी मुद्दों को अपना प्रमुख मुद्दा बना रही है. गठबंधन कैसे होगा ?.

लांबा की इस प्रतिक्रिया के बाद आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने ट्वीट कर कहा’आप क्या चाहती हैं ? पूर्ण राज्य या …..’

विधायक सौरभ भारद्वाज के ट्वीट करने के बाद लांबा ने फिर एक ट्वीट कर कहा, कि मेरे चाहने ना चाहने से क्या फर्क पड़ता है. वैसे भी यह पूछने का समय अब निकल चुका है. अब तो दिल्ली की जनता ही तय करेगी| इस पर भारद्वाज ने फिर प्रतिक्रिया दी और कहा, कि जनता को पता होना चाहिए उनका नेता क्या चाहता है, तभी तो जनता अपने नेता के बारे में तय करेगी|

इसी के साथ कहा, ‘मेरी जनता मुझे बखूबी जानती है, 2020 आने पर पूरे 5 साल का जवाब-हिसाब और क्या सोचती हूं सब बता दूंगी, दूसरी बात मैं आप से उलट सोचती हूं, जनता से अधिक नेता को पता होना चाहिए, कि उसकी जनता क्या सोचती और चाहती है, नेता को वही करना चाहिए, ना कि जनता पर अपनी थोपनी चाहिए|

दोनों के बीच जारी इस बहस के बीच सौरभ ने अलका पर वार करते हुए कहा, कि चलो फिर थोड़ा सा हिम्मत दिखाओ, कल चले जाओ कांग्रेस में है दम ? इसके बाद अलका ने जवाब दिया, कि छोटे भाई, धोखा मत दो बड़ी बहन को, यह आदत अब बदल लो, वचन दिया है| अब कल 3 बजे, जामा मस्जिद गेट नंबर 1 पर पहुंच जाना, थूक कर चाटने की आदत तो भाजपाइयों की है, आप को यह शोभा नही देता. कल मुझे छोटे भाई सौरव का इंतज़ार रहेगा| शुभ रात्रि. जय हिंद !!!

इसी के साथ कहा, कि जिसे हम लोकतंत्र समझते थे,

आज प्रश्न करने पर उन्हें वह अनुशासनहीनता लगने लगी। तानाशाही के दौर में,

लगता है उसे भी अब कुछ सुनना पसंद नही।

बड़े आये, बड़े चले गए,

ना कुछ लाया था साथ,

ना कुछ साथ ले जायेगा। घमंड में कोई लंबा जिया नही। कुर्सी तो आनी जानी है, लालच इसका हमें नही!

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